कोरोना संकट के बीच आज सोमवार से संसद का मॉनसून सत्र शुरू हुआ. सत्र के दौरान सभी की नजर नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला पर लगी रही जो जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद संसदीय कार्यवाही में शामिल हुए थे. उनकी उपस्थिति पर टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर सरकार से सवाल किया कि महबूबा मुफ्ती की रिहाई कब तक होगी.
तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर सरकार पर निशाना साधते हुएकहा कि आज संसद में हमारे सहयोगी फारूक अब्दुल्ला को देखकर प्रसन्नता हुई, लेकिन महबूबा मुफ्ती के बारे में क्या? क्या बीजेपी उन्हें बंदी बनाकर रखेगी और चाबी फेंकती रहेगी? और जवाब मांगने के लिए मुझे देशद्रोही कहें?
इससे पहले नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 निरस्त होने के एक साल से अधिक समय के अंतराल के बाद पहली बार संसद के मॉनसून सत्र में शामिल हुए.
अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के उन नेताओं में से एक थे जिन्हें पिछले साल 5 अगस्त को केंद्र की ओर से अनुच्छेद 370 को रद्द कर दिए जाने के बाद हिरासत में रखा गया था. पूर्व मुख्यमंत्री मॉनसून सत्र में उन आरोपों पर ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में कुछ नेताओं को जम्मू-कश्मीर की स्थिति बदलने के बाद अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है.
लोकसभा कक्ष में कांग्रेस के शशि थरूर और मनीष तिवारी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, डीएमके के ए राजा और मुथुवेल करुणानिधि कनिमोझी और अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने उनका स्वागत किया. वह विपक्षी बेंच की दूसरी पंक्ति में अपनी निर्धारित सीट पर बैठे.
पिछले साल के शीतकालीन सत्र में अनुच्छेद 370 के खात्मे के दौरान, कई विपक्षी नेताओं ने मांग की थी कि अब्दुल्ला को संसद में उपस्थित होने की अनुमति दी जाए. फारुक अब्दुल्ला ने तब श्रीनगर में एक भावनात्मक साक्षात्कार में मीडिया से बात करते हुए कहा था कि उन्हें हिरासत से बाहर आने के लिए अपने घर का दरवाजा तोड़ना पड़ा था और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के इस दावे को खारिज कर दिया था कि वह (अब्दुल्ला) कही भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं.
महबूबा अभी भी हिरासत में
फारूक अब्दुल्ला 2002 में जम्मू-कश्मीर से राज्यसभा में पहुंचे थे. 2009 में वह फिर से निर्वाचित हुए. उन्होंने मई 2009 में राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया और श्रीनगर से लोकसभा सीट जीती.
फारुक अब्दुल्ला की उपस्थिति से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की हिरासत पर ध्यान केंद्रित होने की संभावना है. केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यधारा के अधिकांश राजनीतिक नेताओं को रिहा कर दिया गया है, जिनमें 2 पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला भी शामिल हैं. हालांकि महबूबा मुफ्ती को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में ही रखा गया है.
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