आखिरकार एअर इंडिया के विमान की हुई सेफ लैंडिंग, हाइड्रोलिक सिस्टम हुआ था फेल, सभी 140 यात्री सुरक्षित

एयरपोर्ट पर फ्लाइट की बेली लैंडिंग के लिए तैयारी थी. फ्लाइट के रिहायशी इलाके के ऊपर से गुजरने के कारण ईंधन डंपिंग का विकल्प नहीं चुना गया. इससे पहले, विमान को हल्का बनाने के लिए ईंधन डंपिंग पर विचार किया जा रहा था. हालांकि, यह विकल्प नहीं चुना गया क्योंकि विमान आवासीय क्षेत्रों के ऊपर चक्कर लगा रहा था.

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एयर इंडिया की फ्लाइट का हाइड्रोलिक फेल हो गया एयर इंडिया की फ्लाइट का हाइड्रोलिक फेल हो गया

शिल्पा नायर

  • त्रिची,
  • 11 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 9:45 PM IST

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में शुक्रवार शाम को एअर इंडिया के एक विमान का हाइड्रोलिक फेल हो गया. इसके चलते वह लैंड नहीं कर पा रहा था. इस विमान में 140 लोग सवार थे. हालांकि घंटों के मशक्कत के बाद विमान ने सुरक्षित लैंडिंग कर ली. एयरपोर्ट के डायरेक्टर ने बताया कि विमान, जो त्रिची के आसपास मंडरा रहा था वह सुरक्षित लैंड कर गया है. पायलट ने हाइड्रोलिक फेलिअर के बारे में एयरपोर्ट को सूचित किया था.

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पढ़ें खबर से जुड़े अपडेट्स:

-प्लेन की सुरक्षित लैंडिंग करा दी गई है. इसमें सवार सभी 140 यात्री सुरक्षित हैं. ये फ्लाइट त्रिची के शारजाह जा रही थी. रात 8:14 बजे फ्लाइट ने एयरपोर्ट पर लैंड किया.

वीडियो में देखें कैसे उतरा विमान

-एयरपोर्ट बेली लैंडिंग के लिए तैयारी थी. फ्लाइट के रिहायशी इलाके के ऊपर से गुजरने के कारण ईंधन डंपिंग का विकल्प नहीं चुना गया. इससे पहले, विमान को हल्का बनाने के लिए ईंधन डंपिंग पर विचार किया जा रहा था. हालांकि, यह विकल्प नहीं चुना गया क्योंकि विमान आवासीय क्षेत्रों के ऊपर चक्कर लगा रहा था.

जब पेट के सहारे रनवे को टच करता है प्लेन, जानें क्या होती है बेली लैंडिंग

-बेली लैंडिंग (Belly Landing) एक आपातकालीन लैंडिंग प्रक्रिया है, जिसमें विमान अपने अंडरकारेज (लैंडिंग गियर) को पूरी तरह या आंशिक रूप से खोले बिना ही जमीन पर उतारा जाता है. इसे "गियर-अप लैंडिंग" भी कहा जाता है, क्योंकि इस स्थिति में विमान के लैंडिंग गियर पूरी तरह से काम नहीं कर रहे होते हैं या खोले नहीं जा सकते.

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-बेली लैंडिंग का मतलब है कि विमान अपने पेट (बेली) के हिस्से से रनवे पर उतरता है. यह एक आपातकालीन स्थिति होती है जिसमें विमान के उतरने के लिए अन्य विकल्प नहीं होते हैं. इसके कई गंभीर परिणाम भी होते हैं. इससे विमान और रनवे को नुकसान पहुंचता है. साथ ही झटका लगने से यात्रियों और कर्मचारियों को चोट भी पहुंच सकती है.

कैसे की जाती है बेली लैंडिंग? 

बेली लैंडिंग के दौरान पायलट विमान को बहुत सावधानी से नियंत्रित करता है ताकि उसे धीरे और सुरक्षित रूप से जमीन पर उतारा जा सके. विमान के पेट (बेली) के निचले हिस्से के साथ रनवे पर संपर्क होता है, और पायलट अधिकतर रनवे की लंबाई का इस्तेमाल करते हुए विमान को धीरे-धीरे रोकने की कोशिश करता है. बेली लैंडिंग में विमान के निचले हिस्से को नुकसान हो सकता है, लेकिन अगर सही ढंग से की जाए, तो यह यात्रियों और क्रू के लिए सुरक्षित होती है.

इन स्थितियों में होता है हाइड्रोलिक फेलिअर

विमान में हाइड्रोलिक फेलिअर तब होती है जब लैंडिंग गियर, ब्रेक और फ्लैप जैसे महत्वपूर्ण भागों को नियंत्रित करने के लिए दबावयुक्त द्रव का उपयोग करने वाला सिस्टम ठीक से काम करना बंद कर देता है. त्रिची के जिला कलेक्टर ने आजतक को बताया कि एयरपोर्ट डायरेक्टर ने जानकारी दी कि चिंता की कोई बात नहीं है और विमान सुरक्षित तरीके से उतर गया है. जिला कलेक्टर ने कहा, "एहतियात के तौर पर हमने एंबुलेंस और बचाव दल को स्टैंडबाय पर रखा था."

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