दिल्ली हाईकोर्ट में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’(ONOE) पर आयोजित सिम्पोजियम (सेमिनार) में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और भूपेंद्र यादव ने इस प्रस्ताव के महत्व और आवश्यकता पर जोर दिया. इस अवसर पर सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (AFT) के अध्यक्ष जस्टिस राजिंदर मेनन ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया. सिम्पोजियम में ONOE को लागू करने की व्यवहारिकता, इसके लाभ और चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा हुई.
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि भारत का लोकतंत्र उसकी सबसे बड़ी ताकत है. 140 करोड़ की आबादी वाले इस देश में संविधान को धर्म माना जाता है. हमारा लोकतंत्र संविधान पर आधारित है जो सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय सुनिश्चित करता है. संविधान की प्रस्तावना में व्यक्त स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति, विश्वास और पूजा की आजादी को मजबूत करने के लिए ONOE जरूरी है.
केंद्रीय मंत्री ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि 2013-2014 में राजस्थान में आचार संहिता (Model Code of Conduct - MOC) के कारण शासन कार्य लगभग एक साल तक प्रभावित रहा. सितंबर 2013 से नवंबर 2014 तक राजस्थान सरकार चुनावों में व्यस्त रही. दो साल आकांक्षाओं में और दो साल इंतजार में चले गए. सरकार कैसे चलेगी?.
रेवड़ी बांटने के लिए नहीं है चुनाव: भूपेंद्र यादव
उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनाव लोगों के राजनीतिक मुद्दों को तय करने के लिए होते हैं, ना कि रेवड़ी बांटने के लिए. ONOE से शासन में सुधार होगा और देश एक साथ आगे बढ़ेगा.
उन्होंने ये भी दावा किया कि ONOE से देश की जीडीपी में 1.5% की वृद्धि हो सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था को लाभ होगा. हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र है और हमारा चुनाव आयोग निष्पक्ष है. ONOE से मतदाता सूची और मतदान केंद्रों की पुष्टि आसान होगी, जिससे कई समस्याएं हल हो जाएंगी.
ऐतिहासिक चुनाव सुधार है ONOE: अर्जुनराम मेघवाल
वहीं, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ONOE को एक ऐतिहासिक चुनाव सुधार बताया और कहा कि इसे केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही लागू कर सकते हैं.
उन्होंने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह प्रस्ताव जल्दबाजी में नहीं लाया गया है. उन्होंने बताया कि 1982 में विधि आयोग ने ONOE की सिफारिश की थी. यह कोई नई बात नहीं है.
उन्होंने ONOE की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए कहा, “लोकसभा का कार्यकाल 2029 तक है. संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 में एक नियत तारीख (Appointed Date) होगी. इसके बाद विधानसभा चुनावों को लोकसभा के शेष कार्यकाल के साथ समन्वयित किया जाएगा. उदाहरण के लिए, अगर 2032 में कोई विधानसभा चुनाव होता है तो उसे लोकसभा के शेष कार्यकाल के साथ जोड़ा जाएगा.
उन्होंने इसे एक बार का समाधान (One Time Settlement) करार दिया और कहा कि विपक्ष का यह कहना गलत है कि सरकार कभी भी चुनाव घोषित कर देगी.
'GDP को होगा लाभ'
मेघवाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि मैं किसी काम से झुंझुनू गया था, मुझे बताया गया कि आपको अपना सरकारी वाहन छोड़ना होगा. क्योंकि नगर पालिका चुनाव के कारण आदर्श आचार संहिता लागू थी. आदर्श आचार संहिता के कारण भी लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है, सड़कें नहीं बन पा रही हैं. अगर ONOP के माध्यम से चुनाव होंगे तो GDP को 1.5% का लाभ होगा, हमारी अर्थव्यवस्था को लाभ होगा.
83% ने किया ONOE का समर्थन
उन्होंने बताया कि वेबसाइट और ईमेल के माध्यम से प्राप्त हुआ 5232 फीडबैक में से 83 प्रतिशत ने ONOE का समर्थन किया. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त और पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन किया है.
केंद्रीय मंत्रियों के अलावा AFT अध्यक्ष जस्टिस राजिंदर मेनन ने कहा कि ONOE अब अपरिहार्य हो गया है. उन्होंने बताया कि जब भी चुनाव होते हैं, आचार संहिता लागू होने से सरकार का कामकाज ठप हो जाता है. सोचिए, अलग-अलग राज्यों में चुनाव होने से कितने दिन बर्बाद होते हैं. इससे न केवल प्रशासनिक कार्य रुकते हैं, बल्कि जनता को भी परेशानी होती है. सड़कें नहीं बन सकतीं, विकास कार्य रुक जाते हैं.
उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने इसकी चुनौतियों और समाधानों पर सुझाव दिए हैं.
समिति की सिफारिशें
रामनाथ कोविंद की अगुवाई वाली उच्च-स्तरीय समिति ने ONOE को दो चरणों में लागू करने की सिफारिश की है. पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे, जबकि दूसरे चरण में पंचायत और नगरपालिका चुनाव 100 दिनों के अंदर कराए जाएंगे.
समिति ने एक समान मतदाता सूची की भी सिफारिश की है. हालांकि, कुछ विपक्षी दलों और विशेषज्ञों ने इसे संघीय ढांचे के खिलाफ बताया है.
सृष्टि ओझा