हुनर गोल्ड फ्रॉड केस: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'पहले 200 करोड़ जमा करो, फिर सुनवाई होगी'

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इतने लोगों को ठगने के बाद राहत नहीं मिल सकती और ट्रायल के लिए सभी पीड़ितों को एक जगह बुलाना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ होगा. कोर्ट ने कहा कि याचिका पर सुनवाई के लिए पहले 200 करोड़ रुपये जमा करना होंगे. ललित सोनी पर कई राज्यों में सोना और ज्वेलरी की धोखाधड़ी के आरोप हैं और उनके खिलाफ कई FIR दर्ज हैं.

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'पूरे देश को ठगा है आपने' SC ने खारिज की ललित सोनी की याचिका (File Photo: ITG) 'पूरे देश को ठगा है आपने' SC ने खारिज की ललित सोनी की याचिका (File Photo: ITG)

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 04 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:09 PM IST

देश के विभिन्न राज्यों में सोना और ज्वेलरी की कथित हेराफेरी के मामलों में घिरे हुनर गोल्ड कंपनी के संचालक ललित सोनी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सोनी ने देशभर में दर्ज सभी आपराधिक मामलों को एक ही राज्य में स्थानांतरित करने के लिए शीर्ष अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका सुनने से ही साफ इनकार कर दिया.

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CJI की कड़ी टिप्पणी: पूरे देश को ठगा और अब राहत चाहते हैं?

मुख्य न्यायाधीश (CJI) ने सुनवाई के दौरान बेहद सख्त रुख अपनाते हुए कहा, 'आपने इतने लोगों को ठगा है… पूरे देश को ठगा है… और अब यहां आकर मामलों के एकीकरण की मांग कर रहे हैं? क्या आप चाहते हैं कि जिसे आपने सिलिगुड़ी में धोखा दिया, वो ट्रायल के लिए मुंबई आए?' 

कोर्ट ने आगे कहा कि यदि सोनी को अपनी याचिका पर सुनवाई चाहिए तो पहले वे 200 करोड़ रुपये सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करें. CJI ने स्पष्ट किया कि जब तक यह राशि जमा नहीं होती, तब तक याचिका पर कोई विचार नहीं किया जाएगा.

देशभर में कई FIR, सोने की बड़ी हेराफेरी का आरोप

ललित सोनी पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कंपनी हुनर गोल्ड के ज़रिए कई राज्यों में लोगों और कॉरपोरेट संस्थाओं से सोना, ज्वेलरी और निवेश लेकर भारी पैमाने पर धोखाधड़ी की. विभिन्न राज्यों के पुलिस थानों में उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. सोनी की तरफ से दलील दी गई कि दर्जनों FIR और मुकदमों के चलते ट्रायल में व्यावहारिक दिक्कतें पैदा हो रही हैं, इसलिए सभी केस एक ही राज्य में स्थानांतरित कर दिए जाएं. लेकिन कोर्ट ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया.

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सुप्रीम कोर्ट का रुख साफ

कोर्ट ने दो टूक कहा कि पीड़ितों को ट्रायल के लिए एक ही जगह बुलाना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ होगा. साथ ही ये भी संकेत दिया कि गंभीर आर्थिक अपराधों में आरोपी व्यक्ति 'सुविधा' के नाम पर राहत नहीं पा सकता.

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