'जज को शर्मिंदा नहीं करना चाहते थे...', इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज के खिलाफ आदेश पर सुप्रीम कोर्ट का यूटर्न

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने यह निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस प्रशांत कुमार के एक आदेश पर चिंता जताते हुए जारी किया था, जिसमें उन्होंने एक आपराधिक शिकायत को रद्द करने से इनकार कर दिया था.

Advertisement
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज से जुड़ा अपना ही फैसला पलटा (Photo: PTI) सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज से जुड़ा अपना ही फैसला पलटा (Photo: PTI)

सृष्टि ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 2:20 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज को आपराधिक मामलों की सुनवाई से हटाने के आदेश को वापस ले लिया है. कोर्ट के इस आदेश पर कई जजों ने चिंता जताई थी. 

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने यह निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस प्रशांत कुमार के एक आदेश पर चिंता जताते हुए जारी किया था, जिसमें उन्होंने एक आपराधिक शिकायत को रद्द करने से इनकार कर दिया था.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने व्यापक आलोचना के बीच पीठ से हाईकोर्ट के जज पर लगाई गई पाबंदियों पर पुनर्विचार करने को कहा था, जिसके बाद अदालत ने इस आदेश को वापस ले लिया. 

जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि हमें चीफ जस्टिस से एक पत्र मिला है, जिसमें पुनर्विचार करने को कहा गया है. इस पत्र पर हालांकि, कोई तारीख नहीं थी. इसके अलावा हाईकोर्ट के 13 जजों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर उनसे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं करने का आग्रह किया. 

बता दें कि शुक्रवार को अपने चार अगस्त के उस आदेश को वापस ले लिया, जिसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज को रिटायरमेंट तक आपराधिक मामलों की सुनवाई से हटाने और एक वरिष्ठ जज के साथ बैठने का निर्देश दिया था.

Advertisement

जस्टिस पारदीवाला ने नए आदेश में कहा कि जजो को अपमानित करने या उन्हें शर्मिंदा करने का कोई इरादा नहीं था. उन्होंने कहा कि हमें स्पष्ट करना होगा कि हमारा इरादा संबंधित जज को शर्मिंदा करने या उन पर कोई आरोप लगाने का नहीं था. हम ऐसा सोच भी नहीं सकते. हालांकि, जब मामले एक सीमा को पार कर जाते हैं और संस्थान की गरिमा खतरे में पड़ती है, तो संविधान के अनुच्छेद 136 के तहत अपीलीय क्षेत्राधिकार के तहत कार्य करते हुए भी इस न्यायालय की संवैधानिक जिम्मेदारी बन जाती है कि वह हस्तक्षेप करे.

पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का लक्ष्य हाईकोर्ट के प्रशासनिक अधिकारों में हस्तक्षेप किए बिना न्यायपालिका की गरिमा को बनाए रखना था. हाईकोर्ट न्यायिक प्रणाली का अभिन्न अंग हैं, न कि उससे अलग.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement