नूपुर पर सख्त रुख से चर्चा में जस्टिस पारदीवाला, कोविड पर गुजरात सरकार को भी घेरा था

Justice JB Pardiwala: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पारदीवाला ने उदयपुर हत्याकांड के लिए नूपुर शर्मा को जिम्मेदार ठहराया है और इस नूपुर के बयान को लेकर तल्ख टिप्पणियां की हैं.

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जस्टिस जेबी पारदीवाला. (फाइल फोटो) जस्टिस जेबी पारदीवाला. (फाइल फोटो)

गोपी घांघर

  • अहमदाबाद,
  • 01 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 4:09 PM IST
  • गुजरात हाईकोर्ट के जज भी रहे हैं जस्टिस पारदीवाला
  • कोविड मिसमैनेजमेंट पर सरकार पर उठाए थे सवाल

Justice JB Pardiwala: सुप्रीम कोर्ट से आज नूपुर शर्मा को कड़ी फटकार लगी है. ये फटकार सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जेबी पारदीवाला ने लगाई है. जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि उदयपुर की घटना के लिए नूपुर शर्मा का बयान जिम्मेदार है.

नूपुर शर्मा बीजेपी की प्रवक्ता रही हैं. उन्होंने एक टीवी डिबेट में पैगम्बर मोहम्मद पर टिप्पणी की थी. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें सस्पेंड तो कर दिया, लेकिन टिप्पणी पर बवाल अब तक थमा नहीं है. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें फटकार लगा दी है. 

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जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने कहा, 'हमने टीवी डिबेट में देखा था कि कैसे उन्हें उकसाया गया था. लेकिन जिस तरह से उन्होंने टिप्पणी की और बाद में कहा कि वो एक वकील हैं, ये सब शर्मनाक है. उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए. आज देश में जो कुछ भी हो रहा है, उसकी एकमात्र जिम्मेदार नूपुर शर्मा हैं.'

सुप्रीम कोर्ट की ये टिप्पणी नूपुर शर्मा की याचिका पर ही थी. नूपुर शर्मा ने याचिका दायर की थी कि देश में अलग-अलग जगहों पर उनके खिलाफ केस दर्ज हैं. इन सभी मामलों को दिल्ली में ही ट्रांसफर कर दिया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मांग तो नहीं मानी, लेकिन फटकार जरूर लगा दी. फटकार लगाते हुए जस्टिस पारदीवाला ने कहा, 'नूपुर शर्मा का बयान उदयपुर में हुई दुर्भाग्यपूर्ण हत्या के लिए जिम्मेदार है.'

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उदयपुर में 29 जून को दो लोगों ने कन्हैयालाल नाम के टेलर की हत्या कर दी थी. कन्हैयालाल के 8 साल के बेटे ने नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी. 

उदयपुर में हुई उस हत्या को लेकर देशभर में गुस्सा है, वहीं नूपुर शर्मा की टिप्पणी को लेकर भी बवाल जारी है. इस बीच जस्टिस पारदीवाला की ओर से उदयपुर की हत्या के लिए नूपुर शर्मा को जिम्मेदार बताने वाली टिप्पणी आई है.
 

ये भी पढ़ें-- 'उदयपुर की घटना के लिए नूपुर शर्मा की बयानबाजी जिम्मेदार...', SC की टिप्पणी की 10 बड़ी बातें

कौन हैं जस्टिस पारदीवाला?

- 2015 में राज्यसभा के कम से कम 58 सदस्यों ने राज्यसभा के तत्कालीन सभापति और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से जस्टिस पारदीवाला के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की थी.

- राज्यसभा सांसदों का आरोप था कि पाटीदार नेता और अन्य लोगों पर दर्ज देशद्रोह की धारा हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पर्दीवाला ने आरक्षण को लेकर 'असंवैधानिक' टिप्पणी की थी.

- जस्टिस पारदीवाला ने उस समय कहा था कि 'मेरा मानना है कि आरक्षण और भ्रष्टाचार दो चीजें हैं, जो देश को सही दिशा में आगे बढ़ने से रोकती हैं.' हालांकि, बाद में उनकी इस टिप्पणी को स्पीकिंग टू मिनट्स ऑर्डर से हटा दिया गया था.

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- गुजरात हाईकोर्ट में रहते हुए जस्टिस पारदीवाला ने क्रिमिनल, सिविल, टैक्सेशन और कमर्शियल मामलों का निपटारा किया. साबरमती नदी में प्रदूषण के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए पर्यावरण से जुड़े मामलों में भी फैसला दिया. जस्टिस पारदीवाला ने करीब 1,000 मामलों में फैसले दिए हैं.

फटकारा तो बेंच से ही हटा दिया

- मई 2020 में कोरोना मिसमैनेजमेंट के लिए गुजरात हाईकोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी. इस याचिका पर दो जज सुनवाई कर रहे थे. जस्टिस पारदीवाला इस बेंच में शामिल थे. 

- इस बेंच ने अहमदाबाद सिविल अस्पताल की तुलना 'कालकोठरी' से की थी और सरकार के 'सबकुछ ठीक है' वाले दावों को नकार दिया था. 

- उस समय जस्टिस पारदीवाला ने प्रवासी मजदूरों के मुद्दों और अहदाबाद सिविल अस्पताल में हो रही मौतों पर मीडिया रिपोर्ट्स को भी संज्ञान में लिया था. बाद में जस्टिस पारदीवाला को इस बेंच से हटा दिया गया था.

 

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