सुप्रीम कोर्ट से अब्दुल्ला आजम को नहीं मिली राहत, स्वार सीट पर होगा उपचुनाव

सपा नेता अब्दुल्ला आजम खान ने एक मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है. हालांकि, उन्हें राहत नहीं मिली है. यूपी की स्थानीय कोर्ट के फैसले के बाद अब्दुल्ला की विधायकी चली गई थी और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था. अब्दुल्ला ने कोर्ट से स्वार सीट पर उपचुनाव पर भी रोक लगाने की मांग की थी.

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सपा नेता अब्दुल्ला आजम खान. (फाइल फोटो) सपा नेता अब्दुल्ला आजम खान. (फाइल फोटो)

कनु सारदा

  • नई दिल्ली,
  • 01 मई 2023,
  • अपडेटेड 7:31 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के बेटे मोहम्मद अब्दुल्ला आजम खान की याचिका पर सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है और जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है. हालांकि, अब्दुल्ला को सजा पर रोक लगाने की मांग पर राहत नहीं मिली है. अब्दुल्ला को एक मामले में कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई है, जिसके बाद वो विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य हो गए हैं. उन्होंने याचिका में अपनी अयोग्यता पर रोक की मांग की थी.

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सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई के बाद जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की डबल बेंच ने यूपी सरकार को एक नोटिस जारी किया है, लेकिन अब्दुल्ला के अयोग्य घोषित होने के बाद खाली हुई स्वार विधानसभा सीट पर आगामी 10 मई को होने वाले उपचुनाव पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन स्पष्ट किया कि उपचुनाव का रिजल्ट हमारे अंतिम आदेश पर निर्भर करेगा. बेंच ने मामले की सुनवाई जुलाई के दूसरे सप्ताह के लिए टाल दी है. 

'कोर्ट के अंतिम ऑर्डर पर निर्भर करेगा चुनाव का रिजल्ट'

कोर्ट ने कहा- प्रतिवाद दाखिल होने दीजिए. 10 मई को होने वाले उपचुनाव को इस विशेष अनुमति याचिका के रिजल्ट के अधीन रहने दीजिए. सुनवाई के दौरान बेंच ने यूपी सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से पूछा- क्या हम दोषी और सजा पाए व्यक्ति की नैतिकता का परीक्षण कर सकते हैं? क्या वह एक निर्वाचित प्रतिनिधि नहीं हो सकता है? आपको प्रथम दृष्टया यह साबित करना होगा कि उसने अपनी क्षमता से अपराध किया है.

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'अब्दुल्ला पर 46 केस... कैसे सही ठहराएंगे?'

अब्दुल्ला की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने दावा किया कि घटना के समय उनका मुवक्किल नाबालिग था और कहा कि मामले की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड द्वारा की जानी चाहिए थी, ना कि रेगुलर कोर्ट से. इस पर बेंच ने सवाल किया कि वे उन 46 मामलों को कैसे सही ठहराएंगे जो उनके खिलाफ लंबित हैं?

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'कोई भी केस गंभीर प्रकृति का नहीं'

सवाल के जवाब में तन्खा ने कहा- जैसे ही अब्दुल्ला कहीं भी अपनी जन्मतिथि का हवाला देते हैं, उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कर दी जाती है. मैं इस कोर्ट को दिखा सकता हूं कि कोई भी मामला गंभीर प्रकृति का नहीं है.

'अगले 6 साल चुनाव नहीं लड़ पाएंगे अब्दुल्ला'

बेंच ने तब एएसजी नटराज से अपराध की नैतिकता पर हलफनामे के जरिए जवाब देने के लिए कहा. अब्दुल्ला को दो साल कैद की सजा सुनाई गई थी, जिसके बाद उन्हें यूपी विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया गया था. जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार, अब्दुल्ला अपनी सजा के बाद अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

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क्या है पूरा मामला?

अब्दुल्ला और उनके पिता आजम खान के खिलाफ 2008 में स्टेट हाइवे पर धरने के लिए आईपीसी की धारा 341 (गलत तरीके से रोकना) और 353 (हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के तहत केस दर्ज किया गया था. 31 दिसंबर 2007 को रामपुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कैंप पर हमला हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने आजम खान के काफिले को जांच को लेकर रोक लिया था, जिससे आजम खान नाराज हो गए थे और राजमार्ग पर धरने पर बैठ गए और हंगामा किया. अब्दुल्ला के पिता आजम खान को 2019 के एक मामले में सांसद-विधायक अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य के रूप में पहले ही अयोग्य घोषित कर दिया गया था.

 

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