सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट जज के खिलाफ निंदनीय आरोपों पर जारी किया अवमानना नोटिस

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने सवाल उठाते हुए कहा, "ऐसी याचिका पर हस्ताक्षर करने से पहले, क्या कोर्ट के एक ज़िम्मेदार अधिकारी के रूप में सावधानी बरतना आपका कर्तव्य नहीं है?"

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जज के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम ने सुनाई खरी-खरी (Photo: File) जज के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम ने सुनाई खरी-खरी (Photo: File)

सृष्टि ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2025,
  • अपडेटेड 5:06 PM IST

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को एक सख्त कदम उठाते हुए तेलंगाना हाई कोर्ट के एक सिटिंग जज के खिलाफ अपमानजनक आरोप लगाने के लिए एक याचिकाकर्ता, उनके एडवोकेट और ड्राफ्ट तैयार करने वाले वकील को अवमानना नोटिस जारी किया है.

याचिका में उपयोग की गई भाषा को गंभीरता से लेते हुए, भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने वकील की माफ़ी और याचिका वापस लेने की कोशिश को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.

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चीफ जस्टिस ने कहा, "हाई कोर्ट के एक सिटिंग जज के खिलाफ आरोप लगाकर, आप अपने मुवक्किल के खिलाफ अवमानना को आमंत्रित कर रहे हैं." उन्होंने चेतावनी दी कि स्थापित कानून के तहत, ऐसी याचिकाओं पर हस्ताक्षर करने वाले वकील भी अवमानना के लिए समान रूप से उत्तरदायी हैं.

'हम जजों को एक दायरे में...'

चीफ जस्टिस ने सवाल उठाते हुए कहा, "ऐसी याचिका पर हस्ताक्षर करने से पहले, क्या कोर्ट के एक ज़िम्मेदार अधिकारी के रूप में सावधानी बरतना आपका कर्तव्य नहीं है?" उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि न्यायिक अखंडता की रक्षा करना न्यायालयों का कर्तव्य है.

कोर्ट ने कहा, "हम जजों को एक दायरे में बंद नहीं रहने दे सकते, जबकि वकील और मुक़दमेबाज़ आरोप लगाने के लिए स्वतंत्र महसूस करते हैं."

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पूर्व उदाहरणों का हवाला देते हुए, बेंच ने कहा कि न केवल मुक़दमेबाज़, बल्कि ऐसी निंदनीय सामग्री का मसौदा तैयार करने और उसे दायर करने में शामिल वकीलों को भी अवमानना का दोषी ठहराया जा सकता है.

अदालत ने याचिका वापस लेने की कोशिश को यह कहते हुए खारिज कर दिया, “जब हमने इस्तेमाल की गई भाषा पर अपनी नाराजगी जताई, तो वकील ने याचिका वापस लेने की मांग की. हम इसकी अनुमति देने के लिए तैयार नहीं हैं. इसे खारिज किया जाता है.”

अदालत ने अब सभी संबंधित पक्षों से जवाब मांगा है कि अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए.

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