डॉक्टरों के साथ खड़े रहना न्यायपालिका की ड्यूटी, वरना समाज माफ नहीं करेगा...सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया ये बयान

सुप्रीम कोर्ट ने कोविड ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के बीमा दावों पर बड़ा बयान दिया है. कोर्ट ने कहा कि अगर न्यायपालिका उन डॉक्टरों के साथ नहीं खड़ी हुई जिन्होंने अपनी जान जोखिम में डालकर समाज की सेवा की, तो समाज हमें कभी माफ नहीं करेगा. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह जांच करना जरूरी नहीं कि अस्पताल या क्लिनिक कोविड सेंटर था या नहीं.

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कोविड में जान गंवाने वाले डॉक्टरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त (Rep. Photo By AI) कोविड में जान गंवाने वाले डॉक्टरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त (Rep. Photo By AI)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली ,
  • 28 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 7:20 PM IST

कोविड-19 महामारी के दौरान ड्यूटी के लिए नियुक्त डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को बीमा भुगतान के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जल्द फैसला सुनाने की घोषणा की है.  इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई के दौरान जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि अब ये जांच करना अनावश्यक है कि अस्पताल या क्लिनिक कोविड सेंटर घोषित था या नहीं. अगर किसी डॉक्टर की मौत कोविड संक्रमण के कारण हुई है तो वो बीमा लाभ का हकदार है.

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‘डॉक्टरों की जान जोखिम में थी, समाज को जवाब देना होगा’

जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अगर न्यायपालिका अपनी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी निभाने वाले डॉक्टरों के हितों का ध्यान नहीं रखेगी और उनके साथ खड़े रहने की ड्यूटी नहीं निभाएगी तो समाज हमें कभी माफ नहीं करेगा.  कोर्ट ने कहा कि बीमा लाभ केवल इसलिए नहीं रोका जा सकता कि संबंधित अस्पताल कोविड सेंटर घोषित नहीं था.

फैसला जल्द, पात्रता के सिद्धांत पर होगी गाइडलाइन

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई पूरी करते हुए कहा कि वह जल्द ही विस्तृत आदेश जारी करेगा. कोर्ट ने कहा कि हम ये सिद्धांत तय करेंगे कि बीमा दावे के लिए आवेदन करने के लिए कौन पात्र है. इसके बाद बीमा कंपनी दावे की जांच और जरूरी प्रक्रिया पूरी कर सकती है.

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क्यों सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला

दरअसल, कोविड काल में ड्यूटी के दौरान दिवंगत हुए डॉक्टरों की पत्नियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उन डॉक्टरों को 50 लाख रुपये के बीमा लाभ से वंचित कर दिया गया था, जिनके अस्पताल या क्लिनिक कोविड सेंटर घोषित नहीं किए गए थे.

केंद्र सरकार की दलील

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि बीमा भुगतान की प्रक्रिया सरकार के माध्यम से ही होनी चाहिए क्योंकि ये प्रमाणित करना जरूरी है कि कोविड काल के दौरान अस्पताल या क्लिनिक वास्तव में खुला था या नहीं. सरकार ने ये भी बताया कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण बीमा योजना (PMGKP) के तहत अब तक 2,500 से अधिक दावेदारों को लगभग 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. इसलिए इस मामले को अब और तूल नहीं दिया जाना चाहिए.

कोर्ट ने मांगे आंकड़े और अन्य योजनाओं का ब्यौरा

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी कहा कि वो बताएं कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के अलावा क्या कोई अन्य बीमा योजनाएं भी उपलब्ध हैं जिनसे कोविड ड्यूटी पर रहे डॉक्टरों या मेडिकल स्टाफ को सहायता दी जा सकती है.

क्या है अगला कदम

अब सुप्रीम कोर्ट इस पर विस्तृत आदेश जारी करेगा, जिसमें यह स्पष्ट किया जाएगा कि बीमा दावे के लिए पात्रता तय करने के मानक क्या होंगेे  कोविड संक्रमण के कारण मारे गए डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों के परिजनों को बीमा लाभ कैसे मिलेगा और बीमा कंपनियां किस प्रक्रिया से जांच पूरी करेंगी. इस फैसले का असर देशभर के उन सैकड़ों परिवारों पर पड़ेगा, जिन्होंने कोविड ड्यूटी के दौरान अपने प्रियजनों को खोया और अब न्यायपालिका से उम्मीद लगाए बैठे हैं.

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