बाघ संरक्षण के लिए स्थापित करनी चाहिए नेशनल एजेंसी? सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा

सुप्रीम कोर्ट ने देश में बाघों के शिकार और अवैध वन्यजीव व्यापार की बढ़ती घटनाओं पर कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या बाघ संरक्षण के लिए एक समर्पित राष्ट्रीय एजेंसी की स्थापना की जानी चाहिए. यह एक अहम कदम है.

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बांघ संरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त. (File Photo: PTI) बांघ संरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त. (File Photo: PTI)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 17 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

देश में बाघों के शिकार और अवैध वन्यजीव व्यापार की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या बाघ संरक्षण के लिए एक समर्पित राष्ट्रीय एजेंसी की स्थापना की जानी चाहिए. राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और देशभर के अन्य राज्यों में सक्रिय विशाल आपराधिक गिरोहों की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग पर कोर्ट ने गृह मंत्रालय (एमएचए), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ) और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) को नोटिस जारी कर चार हफ्तों में जवाब मांगा है.

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सीजेआई बीआर गवई ने अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता गौरव बंसल ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि  देश के बाघ अभ्यारण्यों के 30 प्रतिशत से ज्यादा बाघ संरक्षित क्षेत्र से बाहर ही घूमते रहते हैं.

इस पर मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने कहा कि आप हमें वो रिपोर्ट दिखाइए. प्रस्तुत रिपोर्ट से पता चलता है कि एक बड़ा रैकेट है जो उत्तर, दक्षिण के देशों के साथ-साथ भारत के सभी हिस्सों के लोग इस आपराधिक गिरोह में शामिल हैं. जो बाघ का शिकार करते हैं. 

'समर्पित जांच एजेंसी होनी चाहिए स्थापित'

उन्होंने जोर देकर कहा कि इसकी जांच के लिए सीबीआई को लगाना जरूरी है और एक केंद्रीय एजेंसी की स्थापना होनी चाहिए जो बाघ संरक्षण को विशेष रूप से संभाले.

सीजेआई गवई ने रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद नोटिस जारी करने का आदेश दिया और कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी को भी सरकार की ओर से समग्र निर्देश लेने को कहा है.

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