कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने सत्तारूढ़ एनडीए सरकार पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को बदनाम करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करने का प्रोजेक्ट आज सत्ताधारी व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य है. उनका मकसद केवल उन्हें मिटाना नहीं, बल्कि उन सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक नींवों को ही ध्वस्त करना है. जिन पर हमारा राष्ट्र खड़ा हुआ है.
जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल में 'नेहरू सेंटर इंडिया' के शुभारंभ कार्यक्रम में संबोधन देते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि नेहरू को अपमानित करने, उनकी छवि विकृत करने, उन्हें छोटा दिखाने और बदनाम करने का एक सुनियोजित प्रयास चल रहा है जो कतई स्वीकार्य नहीं है.
उन्होंने ये भी कहा कि इनका एकमात्र उद्देश्य न केवल नेहरू को एक व्यक्तित्व के रूप में कमतर आंकना है, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी सर्वमान्य भूमिका को कम करना और तथा इतिहास को फिर से लिखने के स्वार्थी प्रयास में उनकी विरासत को नष्ट करना है.
नेहरू को मिटाने की साजिश
सोनिया गांधी ने स्पष्ट शब्दों में कहा, 'इसमें कोई संदेह न रहे कि जवाहरलाल नेहरू को बदनाम करने का प्रोजेक्ट आज सत्ताधारी व्यवस्था का मुख्य लक्ष्य है. उनका इरादा सिर्फ उन्हें मिटाना नहीं है; बल्कि उस सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक आधार को ही नष्ट करना है जिस पर हमारा देश खड़ा हुआ और विकसित हुआ है.'
आधुनिक भारत के शिल्पकार
उन्होंने याद दिलाया कि नेहरू आधुनिक भारतीय राष्ट्र-राज्य के प्रमुख निर्माता थे, योजनाबद्ध आर्थिक विकास में उनका दृढ़ विश्वास था और वैज्ञानिक एवं तकनीकी क्षमताओं के विकास के साथ-साथ वैज्ञानिक सोच के विकास के प्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता थी.
उन्होंने कहा, 'उनके लिए धर्मनिरपेक्षता का मतलब था भारत की विविधताओं का उत्सव मनाना और साथ ही इसकी मूल एकता को मजबूत करना.'
कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी विरासत आज भी हमारे रोजमर्रा के जीवन को आकार दे रही है. उनके निधन के बाद कई दशक बीत गए हैं, लेकिन वे आज भी हमारे लाखों देशवासियों के लिए प्रकाश स्तंभ के रूप में काम कर रहे हैं.
उन्होंने स्वीकार किया कि इतने महान व्यक्तित्व का जीवन और कार्य विश्लेषित और आलोचित होना स्वाभाविक है, परंतु ऐतिहासिक संदर्भ से उन्हें अलग करके देखना या उनके कथन, लेखन और कार्यों के साथ जानबूझकर छेड़छाड़ करना पूरी तरह अस्वीकार्य है.
गांधी के हत्यारों का महिमामंडन
सोनिया गांधी ने तीखे शब्दों में कहा, 'इस अभियान के पीछे वही विचारधारा है, जिसका स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं था, जिसने हमारे संविधान निर्माण में कोई भूमिका नहीं निभाई और जिसने संविधान की प्रतियां तक जलाईं. यही वह विचारधारा है, जिसने नफरत फैलाई और इसी के कारण महात्मा गांधी की हत्या हुई. आज भी उनके अनुयायी गांधी के हत्यारों का महिमामंडन कर रहे हैं. ये कट्टर और घोर सांप्रदायिक विचारधारा है और राष्ट्रवाद के प्रति इसाक दृष्टिकोण सभी प्रकार के पूर्वाग्रहों को भड़काने पर आधारित है.'
उन्होंने चेतावनी दी कि आगे का रास्ता आसान नहीं है, लेकिन खड़े होकर इसका सामना करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि ये न केवल नेहरू और उनके साथियों की स्मृति के प्रति, अपने प्रति और आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारा कर्तव्य है.
नेहरू आर्काइव का शुभारंभ
सोनिया गांधी ने जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल फंड (JNMF) द्वारा नेहरू पर एक आर्काइव (Archive) शुरू करने की भी सराहना की. यह एक आसानी से खोजे जाने योग्य और मुफ्त में डाउनलोड किया जा सकने वाला डिजिटल आर्काइव है, जिसका इस्तेमाल स्मार्टफोन से भी किया जा सकता है.
उन्होंने बताया कि वर्तमान में इसमें उनके चुने हुए कार्यों (Selected Works) के सौ प्रकाशित खंड शामिल हैं जो 1903 से लेकर उनकी मृत्यु से एक दिन पहले तक की अवधि को कवर करते हैं.
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