'ये धोखाधड़ी नहीं, आस्था के साथ विश्वासघात', तिरुपति लड्डू विवाद के आरोपियों की जमानत के विरोध में बोली SIT

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम लड्डू घी मिलावट मामले में आरोपी डेयरियों के निदेशकों की जमानत का विरोध किया तथा धार्मिक आस्था से जुड़े इस मामले में करोड़ों रुपये की साजिश, मुखौटा कंपनियों के इस्तेमाल और गवाहों को धमकाने का आरोप लगाया.

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तिरुपति लड्डू विवाद. (सांकेतिक फोटो) तिरुपति लड्डू विवाद. (सांकेतिक फोटो)

अपूर्वा जयचंद्रन

  • नई दिल्ली,
  • 06 जून 2025,
  • अपडेटेड 11:40 PM IST

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के प्रसिद्ध लड्डू प्रसादम के लिए मिलावटी घी की आपूर्ति के मामले में जांच कर रही विशेष जांच टीम (SIT) ने तीन डेयरियों के निदेशकों की जमानत का आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में कड़ा विरोध किया.

सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI), जो इस SIT का नेतृत्व कर रही है, ने अदालत में दावा किया कि भोले बाबा डेयरी, वैष्णवी डेयरी और AR डेयरी के निदेशक एक गहरे और बहु-करोड़ के षड्यंत्र का हिस्सा थे, जिसका उद्देश्य न केवल TTD को ठगना था, बल्कि करोड़ों भक्तों की आस्था के साथ विश्वासघात करना भी था.

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'आस्था के साथ विश्वासघात...'

CBI के स्थायी वकील पीएसपी सुरेश कुमार ने कहा, 'यह केवल खाद्य धोखाधड़ी का मामला नहीं है, यह आस्था के साथ विश्वासघात है.'

CBI ने आरोप लगाया कि भोले बाबा डेयरी, जिसका TTD के साथ कोई औपचारिक समझौता नहीं था, ने AR डेयरी को सामने रखकर घी आपूर्ति का ठेका हासिल किया. कागजात में भले ही AR डेयरी का नाम था, लेकिन वास्तव में घी की आपूर्ति भोले बाबा डेयरी ने की, जो जांचकर्ताओं के अनुसार, घी नहीं बल्कि पाम ऑयल और रसायनों का हानिकारक मिश्रण था.

तीनों आरोपी डेयरियां (भोले बाबा, वैष्णवी और AR डेयरी) इस योजना में शामिल थीं और सैकड़ों करोड़ रुपये का कारोबार कर रही थीं. 

CBI ने यह भी दावा किया कि इन डेयरियों ने गवाहों को डराने-धमकाने की कोशिश की. सह-अभियुक्त आशीष रोहिल्ला, जो गवाही देने को तैयार था, को जबरन चेन्नई और बाद में दिल्ली ले जाया गया ताकि वह बयान न दे सके.

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16 जून को सकता है फैसला

CBI ने तर्क दिया कि आरोपी वित्तीय रूप से सशक्त हैं और जमानत मिलने पर अन्य गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं. इस मामले में न केवल कानूनी, बल्कि धार्मिक भावनाएं भी जुड़ी हैं, इसलिए एजेंसी ने अदालत से इसे अत्यंत गंभीरता से लेने का अपील की. आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने जमानत याचिका पर अपना फैसला 16 जून तक के लिए सुरक्षित रख लिया है.

ये घोटाला पिछले साल तब सामने आया जब तेलुगु देशम पार्टी (TDP) की सरकार ने दावा किया कि तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर मंदिर के प्रसादम लड्डू में जानवरों की चर्बी घी का इस्तेमाल किया गया है. इस मामले ने देशभर में हंगामा मचा दिया और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर CBI ने नवंबर 2024 में एक पांच सदस्यीय SIT का गठन किया, जिसमें दो CBI अधिकारी, दो आंध्र प्रदेश पुलिस अधिकारी और खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) का एक प्रतिनिधि शामिल हैं.

जांच में TTD के ई-टेंडरिंग प्रक्रिया में गंभीर खामियां पाई गईं और खुलासा किया कि भोले बाबा डेयरी, जिसे 2022 में TTD ने ब्लैकलिस्ट कर दिया था, ने वैष्णवी डेयरी और AR डेयरी के जरिए मिलावटी घी की आपूर्ति की.

लैब रिपोर्ट में अशुद्ध तत्वों की हुई पुष्टि

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तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को लड्डू बनाने के लिए रोजाना 15,000 किलो गाय के घी की जरूरत होती है. तमिलनाडु की एआर फूड्स ने 320 रुपये प्रति किलो की दर से घी सप्लाई करने का टेंडर हासिल किया. 8 जुलाई को घी के आठ टैंकर आए और चार को जांच के लिए भेजा गया. 17 जुलाई को लैब रिपोर्ट में घी में अशुद्ध तत्वों की मौजूदगी की पुष्टि हुई. 

आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने पिछले साल सितंबर में दावा किया था कि राज्य में पिछले वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाले शासन के दौरान तिरुपति के लड्डू तैयार करने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल किया गया था, जिससे एक बड़ा राजनीतिक विवाद शुरू हो गया था.

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