वर्ल्ड एकेडमी ऑफ आर्ट एंड साइंस (WAAS) ने शौर्य डोभाल को फेलो चुना है. यह सम्मान डोभाल को वैश्विक विचार नेतृत्व और नीति नवाचार में उनके महत्वपूर्ण योगदान और प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए दिया गया है.
अल्बर्ट आइंस्टीन, रॉबर्ट ओपेनहाइमर और जोसेफ रोटब्लाट जैसी प्रख्यात हस्तियों द्वारा स्थापित वर्ल्ड एकेडमी ऑफ आर्ट एंड साइंस एक अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक है, जो मानवता के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों का समाधान करने के लिए समर्पित है. एकेडमी में वैज्ञानिकों, कलाकारों और विद्वानों का एक प्रतिष्ठित समूह शामिल है जो ज्ञान और सामाजिक विकास के उत्थान में योगदान देता है.
वर्ल्ड एकेडमी ऑफ आर्ट एंड साइंस (WAAS) के फेलो के रूप में शौर्य डोभाल का नामांकन उन्हें उन प्रतिष्ठित व्यक्तियों के समूह में शामिल करता है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में प्रभावशाली योगदान दिया है. इनमें उल्लेखनीय पूर्व सदस्यों में भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जिन्हें मानद फेलो के रूप में चुना गया था और भारतीय परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विक्रम साराभाई शामिल हैं.
क्या बोले शौर्य डोभाल?
अपने नामांकन के लिए आभार व्यक्त करते हुए शौर्य डोभाल ने वैश्विक चुनौतियों को हल करने में सहयोगी प्रयासों के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि वर्ल्ड एकेडमी ऑफ आर्ट एंड साइंस के फेलो के रूप में नामित होना मेरे लिए सम्मान की बात है. मैं मानवता की बेहतरी के लिए अंतःविषय संवाद को बढ़ावा देने और स्थायी समाधान खोजने के एकेडमी के मिशन में योगदान देने के लिए तत्पर हूं.
आपको बताते चलें कि वर्ल्ड एकेडमी ऑफ आर्ट एंड साइंस एक अंतरराष्ट्रीय, गैर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1960 में प्रख्यात वैज्ञानिकों और बुद्धिजीवियों के एक समूह ने की थी. एकेडमी का मिशन अंतःविषय संवाद के माध्यम से वैश्विक मुद्दों को संबोधित करना और मानवता की भलाई को बढ़ावा देना है. WAAS फेलो में दुनिया के कुछ प्रमुख विचारक, वैज्ञानिक और नीति-निर्माता शामिल हैं जो आज दुनिया के सामने आने वाली जटिल चुनौतियों का समाधान विकसित करने के लिए मिलकर काम करते हैं.
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