स्कूल फीस बनाम सैलरी, पहले कभी नहीं पड़ा पैरेंट्स पर इतना बोझ! क्या हैं इसके पीछे की वजहें

LocalCircles के एक नेशनल सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं कि साल 2022 से 2025 के बीच 44% पैरेंट्स ने बताया कि स्कूल फीस में 50–80% तक का इजाफा हुआ है. वहीं 8% ने कहा कि फीस 80% से भी ज्यादा बढ़ाई गई. सिर्फ 13% पैरेंट्स ऐसे थे जिनकी फीस में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई. 

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When Nursery Fees Outrun Paychecks When Nursery Fees Outrun Paychecks

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 10:13 PM IST

बच्चा स्कूल से पास हो या फेल, पैरेंट्स के माथे पर लकीरें तब खिंचती हैं जब नई क्लास की फीस सर्कुलर सामने आता है. देश के बड़े शहरों में हर साल ये वही दौर होता है जब माता-पिता सोच में पड़ जाते हैं, क्या वाकई हम बच्चे को उसी स्कूल में पढ़ा पाएंगे?

बेंगलुरु के एक टेक प्रोफेशनल कपल की सालाना कमाई करीब 25 लाख है लेकिन दो बच्चों की स्कूल फीस में ही 5 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं. पिता का कहना है कि बजट ऐसा बनाते हैं जैसे बच्चों को अमेरिका भेज रहे हों.

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गुरुग्राम की एक स्कूल टीचर की सैलरी 60,000 रुपये है लेकिन जब स्कूल ने अचानक 35% फीस बढ़ा दी तो उन्हें बच्चे को स्कूल से निकालना पड़ा. वो कहती हैं कि इससे हमारा मन टूट गया था. हैदराबाद में एक प्ले स्कूल ने नर्सरी एडमिशन के लिए 2.51 लाख रुपये सालाना फीस मांगी यानी 21,000 रुपये महीना सिर्फ ABCD सीखने के लिए.

फीस 80% तक बढ़ी, सैलरी वहीं की वहीं

LocalCircles के एक नेशनल सर्वे में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं कि साल 2022 से 2025 के बीच 44% पैरेंट्स ने बताया कि स्कूल फीस में 50–80% तक का इजाफा हुआ है. वहीं 8% ने कहा कि फीस 80% से भी ज्यादा बढ़ाई गई. सिर्फ 13% पैरेंट्स ऐसे थे जिनकी फीस में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई. 

2025–26 के सेशन में 81% पैरेंट्स ने बताया कि फीस में 10% से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है जबकि 22% पैरेंट्स की फीस 30% से ज्यादा बढ़ी. लेकिन दूसरी तरफ मीडियन सैलरी ग्रोथ अब भी 9.4–9.5% के आसपास ही अटकी है. ILO (International Labour Organization) के मुताबिक शहरी भारत में औसतन एक वेतनभोगी की आमदनी 21,800 रुपये महीना है.

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'हर विषय पढ़ाते हैं, पर हिसाब नहीं रखते?'

पेरेंट्स का सवाल जायज़ है कि जब हमारी कमाई उसी जगह ठहरी है तो स्कूल अपनी फीस इतनी बढ़ा क्यों रहे हैं? DPS द्वारका जैसे स्कूलों में फीस बढ़ोतरी के खिलाफ पेरेंट्स ने खुलकर विरोध जताया. दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद में कई जगह प्रोटेस्ट तक हुए. सरकार ने भी इसका हल निकालने की कोशिश की है. दिल्ली में School Education (Transparency & Fee Regulation) Bill 2025 लाया गया है, जिसके तहत फीस हर तीन साल में सिर्फ एक बार बढ़ाई जा सकती है. 

स्कूलों को अपनी फाइनेंशियल डिटेल्स सार्वजनिक करनी होंगी. नियम तोड़ने पर 1 लाख से 10 लाख तक का जुर्माना लग सकता है. लेकिन कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि बिल में कमियां हैं. शिकायत दर्ज करने के लिए 15% पैरेंट्स की सहमति जरूरी है जबकि शिकायतें सुनने वाली कमिटी में स्कूल के ही लोग शामिल होते हैं. स्वतंत्र ऑडिट की व्यवस्था भी इसमें कमजोर है.

क्या शिक्षा अब अवसर नहीं, बोझ बन रही है?

बात साफ है कि स्कूल फीस 3 से 5 गुना ज्यादा रफ्तार से बढ़ रही है जितनी आमदनी. मिडल क्लास पेरेंट्स को अब छुट्टियां टालनी पड़ती हैं सेविंग्स तोड़नी पड़ती हैं, यहां तक कि लोन तक लेना पड़ रहा है, सिर्फ बच्चे की शुरुआती पढ़ाई के लिए.

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