विज्ञापन, शिकार फिर 'शटर डाउन', 50 हजार लोगों को ठगने वाले जफर की कहानी

नौकरी के नाम पर लोगों को ठगने वाले एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जिसने करीब 50 हजार लोगों को शिकार बनाया है. इस गिरोह का मास्टरमाइंड जफर अहमद यूपी के अलीगढ़ से गिरफ्तार हुआ है. जफर महज 25 साल का है. उसने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. उसकी क्राइम कुंडली के पन्ने खुलने पर अधिकारी भी हैरान रह गए.

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सांकेतिक तस्वीर सांकेतिक तस्वीर

प्रशांत कुमार

  • भुवनेश्वर,
  • 02 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 3:03 PM IST

ओडिशा में शनिवार को नौकरी के नाम पर लोगों को ठगने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश हुआ. पूछताछ के दौरान जब इस गिरोह की क्राइम कुंडली खुली तो पुलिस के अधिकारी भी हक्का-बक्का रह गए. इस गिरोह ने हजार दो हजार नहीं बल्कि देश में करीब 50 हजार लोगों को शिकार बनाया है. गिरोह के मास्टरमाइंड को यूपी के अलीगढ़ से गिरफ्तार किया गया है.

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ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) के उप महानिरीक्षक जय नारायण पंकज बताते हैं, "ये गिराह उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से चलाया जा रहा था. इसमें तकनीक के जानकार एक ग्रुप ने फर्जी सरकारी वेबसाइटें बनाईं. इसके बाद लोगों को शिकार बनाने के लिए विज्ञापन डाले. फिर इस गिरोह ने ओडिशा के अलावा, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल के लोगों को निशाना बनाया और ठगा".

15 हजार महीने की सैलरी पर कॉल सेंटर में रखे 50 कर्मचारी

इस गिरोह का सरगना जफर अहमद (25) है. उसे अलीगढ़ के सिविल लाइंस इलाके से गिरफ्तार किया गया. जफर पेशे से इंजीनियर है. इसके ग्रुप में इंजीनियर शामिल थे. लोगों को शिकार बनाने के लिए बाकायदा एक कॉल सेंटर बनाया गया था. इसमें 50 कर्मचारी भी रखे गए. इन्हें 15 हजार रुपये महीने पगार दी जाती थी.

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1 हजार से अधिक सिम और 530 मोबाइल का इस्तेमाल

जफर और उसके गिरोह की क्राइम कुंडली के हर पन्ने के खुलासे पर हैरान कर देने वाला सच सामने आया. पता चला है कि लोगों को शिकार बनाने के लिए इन जालसाजों ने 1 हजार से अधिक सिम कार्ड और 530 मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया. इतना ही नहीं पैसे के लेन-देने के लिए इन लोगों ने 100 से अधिक बैंक खातों का इस्तेमाल किया. बैंक खातों में पैसे आने के बाद ये गिरोह केवल जन सेवा केंद्र से पैसा निकालता था.

जफर की क्राइम कुंडली के हर पन्ने से सनसनीखेज खुलासा

जफर अहमद महज 25 साल का है. उसने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. इसके बाद उसने ऐसा गिरोह बनाया जिसका खुलासा होने पर लोग हैरान हैं. लोगों को शिकार बनाने के लिए उसने जो कॉल सेंटर बनाया, उसमें नौकरी करने वालों को ट्रेनिंग देता था. उसने गरीब आदिवासी मजदूरों के नाम पर अकाउंट्स खोले. जफर और उसका गिरोह सरकारी स्वास्थ्य विभाग में संविदा पर नौकरियों का विज्ञापन निकालता था.

 

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