संचार का साथी या निजी जिंदगी का घुसपैठिया? विपक्ष क्यों बता रहा इसे Pegasus, सरकार की दलील क्या

भारत सरकार के दूरसंचार मंत्रालय के एक निर्देश से विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गई है. विपक्ष ने स्मार्ट फोन में संचार साथी एप को इंस्टॉल करने के निर्देश को निजता का उल्लंघन और जासूसी की कोशिश बताया है. विपक्ष ने कहा है कि ये जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का नया वर्जन है.

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संचार साथी एप को विपक्ष ने नया पेगासस करार दिया है. (Photo: ITG) संचार साथी एप को विपक्ष ने नया पेगासस करार दिया है. (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 02 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:37 PM IST

'ये पेगासस प्लस प्लस है. बिग ब्रदर हमारे फोन में घुस जाएगा और हमारी पूरी निजी जिंदगी में भी ताक-झांक करेगा.' ये कहना है कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम का. कांग्रेस महासचिव और सांसद केसी वेणुगोपाल के तेवर और भी तल्ख नजर आए, उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, "बिग ब्रदर हम पर नजर नहीं रख सकता. टेलिकॉम मंत्रालय का यह डायरेक्शन पूरी तरह से गैर-कानूनी है. प्राइवेसी का अधिकार, संविधान के आर्टिकल 21 में दिए गए जीवन और आजादी के बुनियादी अधिकार का एक जरूरी हिस्सा है."

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कांग्रेस नेताओं की ये आपत्ति केंद्र सरकार के उस फरमान के खिलाफ है. जो उसने मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों को दिया है. 

भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (DoT) ने मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों से कहा है कि अब सभी नए स्मार्टफोन के अंदर संचार साथी एप को निश्चित रूप से प्री इंन्स्टॉल करे. केंद्र का दावा है कि उसका यह कदम साइबर ठगी रोकने, चोरी के फोन खोजने, फेक सिम को रोकने और फर्जी IMEI पर अंकुश लगाने के लिए जरूरी है. 

क्या है संचार साथी

संचार साथी एक सरकारी एप है. भारत सरकार के दूरसंचार विभाग द्वारा विकसित ये मुफ्त एप साइबर सुरक्षा और टेलीकॉम फ्रॉड से निपटने के लिए बनाया गया है. यह 2023 में वेब पोर्टल के रूप में शुरू हुआ था और 17 जनवरी 2025 को एंड्रॉयड व iOS के लिए ऐप के रूप में लॉन्च किया गया. वर्तमान में इसके 5 करोड़ से अधिक डाउनलोड हैं. 

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DoT ने 1 दिसंबर 2025 को निर्देश जारी किए कि मार्च 2026 से सभी नए स्मार्टफोन्स में यह ऐप प्री-इंस्टॉल होगा. जहां तक पुराने फोन का सवाल है तो इसे सॉफ्टवेयर अपडेट से जोड़ा जाएगा. इस ऐप को अनइंस्टॉल या डिसेबल नहीं किया जा सकेगा. इस एप की मदद से अक्टूबर 2025 में 50,000 से ज्यादा चोरी हुए फोन रिकवर हो चुके हैं.

सरकार की मंशा जो भी हो, दूरसंचार विभाग का दावा जो भी हो. लेकिन विपक्ष इसे सीधा-सीधा निजता का उल्लंघन, जासूसी की कोशिश और जनता के अधिकारों का उल्लंघन मानता है.

पेगासस से तुलना

इसलिए कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इसे पेगासस से ऊपर की चीज (पेगासस प्लस प्लस) बताया है. 

पेगासस इजरायली कंपनी NSO Group द्वारा बनाया गया एक अत्यधिक शक्तिशाली जासूसी सॉफ्टवेयर है. ये फोन में बिना यूजर के कुछ किए घुस सकता है, यानी कोई लिंक क्लिक करने या ऐप डाउनलोड करने की जरूरत नहीं. ये ऐप कॉल, मैसेज, ईमेल, फोटो, लोकेशन, माइक्रोफोन और कैमरा सब कुछ चुपके से रिकॉर्ड कर सकता है. व्हाट्सएप, टेलीग्राम, सिग्नल जैसे एन्क्रिप्टेड ऐप्स को भी हैक कर सकता है. 

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ये निजता पर केंद्र सरकार का हमला है. लोगों को मदद करने के लॉजिक को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों की मदद के बहाने बीजेपी सरकार लोगों की निजता पर हमला कर रही है, हमलोग भरत में पेगासस के अनुभव को देख चुके हैं. सरकार इस देश लोगों की निगरानी करना चाह रही है. 

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सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटस ने सरकार पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि नागरिकों को 'एम्पावरमेंट' करने के लिए सरकार का बड़ा प्लान. संचार साथी ऐप को हर फोन पर पहले से इंस्टॉल करना जरूरी किया जाएगा. जिसके पास यह ऐप नहीं है, उसे वोटर लिस्ट से हटा देना चाहिए, CEC को ऐसा करने में खुशी होनी चाहिए!

उन्होंने कहा कि पेगासस बहुत महंगा है और Apple वैसे भी परेशान करने वाली वॉर्निंग भेजता रहता है. 

कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने कि वे पेगासस लाए और उसे कंट्रोल में नहीं रख पाए. MP और MLA सब कहते हैं कि उनके फ़ोन टैप किए जा रहे हैं. पिछले 11 सालों से भारतीयों के बेसिक अधिकार छीने जा रहे हैं. यह नेशनल सिक्योरिटी का असली उल्लंघन है.

सरकार ने क्या सफाई दी

केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संचार साथी एप के जरिए जासूसी की खबरों को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि इसके जरिए किसी तरह की कोई जासूसी नहीं की जाएगी और न ही ये किसी तरह की कॉल मॉनिटरिंग है, अगर आप चाहते हैं तब इसको एक्टिवेट कीजिए नहीं चाहते हैं तो एक्टिवेट करिए. उन्होंने कहा कि अगर डिलीट करना हो तो ऐप को डिलीट कर सकते हैं, यह मैंडेटरी नहीं है. 

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सिंधिया ने कहा कि हर व्यक्ति तक यह एप पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है, यह लोगों को धोखाधड़ी से बचने के लिए है.

शशि थरूर ने अपनाया बीच का रास्ता

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने इस एप पर बीच का रास्ता अपनाया है. यानी कि उन्होंने इस एप को फायदेमंद तो बताया लेकिन इसका इस्तेमाल वैकल्पिक करने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने कहा, "कॉमन सेंस मुझे बताता है कि ये ऐप्स काम के हो सकते हैं, बशर्ते ये अपनी मर्ज़ी से हों. जिन्हें भी इनकी ज़रूरत है, वे इन्हें डाउनलोड कर सकें. डेमोक्रेसी में किसी भी चीज को जरूरी बनाना परेशान करने वाला है. मुझे सरकार के लॉजिक को और देखना होगा. सरकार को मीडिया रिपोर्ट के ज़रिए सिर्फ़ ऑर्डर पास करने के बजाय जनता को सब कुछ समझाना चाहिए. हमें एक ऐसी चर्चा करनी चाहिए जिसमें सरकार फैसले के पीछे के आइडिया के बारे में बताए."

तो क्या संचार साथी नया पेगासस है? 

सवाल है कि इस एप को लेकर इतना शोर क्यों मचा है. कई लोगों की दिक्कत इसकी अनिवार्यता को लेकर है. यानी कि आपको इसे अपने फोन पर रखना ही होगा. यूज़र इसे डिसेबल या मॉडिफ़ाई भी नहीं कर सकते. क्या इसका मतलब है कि ये ऐप पेगासस की तरह फोन यूज़र्स पर नजर रख सकता है?

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इसका जवाब  हां भी है और नहीं भी. पेगासस एक खास सॉफ़्टवेयर है जिसे टारगेटेड फोन पर जासूसी करने के लिए बनाया गया है. संचार साथी ऐप  एक आम ऐप है. पेगासस को आपको डाउनलोड नहीं करना पड़ता है, अगर आप न भी चाहें और जासूसी करने वाला चाहे तो ये साफ्टवेयर आपके फोन में आपकी मर्जी के बिना भी घुस सकता है और आपकी जासूसी कर सकता है. 

लेकिन संचार साथी दृश्य रूप से आपके फोन में मौजूद है. यानी आपको जानकारी है कि आपके फोन में एक ऐसा एप है जो आपके डिजिटल फुटप्रिंट रिकॉर्ड कर रहा है. 

लेकिन सरकार के इस कदम को लेकर प्राइवेसी की चिंताएं सही हैं. और यह तब और भी ज़्यादा होता है जब संचार साथी ऐप को इंस्टॉल करते समय आपसे बहुत सारी परमिशन मांगी जाती है. 

अपनी लिमिटेड फ़ंक्शनैलिटी के बावजूद, ऐप बहुत सारा डेटा और बहुत सारे कंपोनेंट्स तक एक्सेस मांगता है. इसमें कैमरे तक एक्सेस, कॉल और मैसेज मॉनिटर करने की क्षमता, नेटवर्क स्टेट मॉनिटर करने की क्षमता और डिवाइस की जगह का पता लगाने की क्षमता शामिल है. ये एक्सेस शायद इस ऐप को एक "फोन फ़ाइंडर" टूल के तौर पर काम करने के लिए चाहिए, जो कि यह है भी. लेकिन इन विशेषताओं का गलत इस्तेमाल इसे यूजर की प्राइवेसी के लिए एक बुरा सपना बना देती है. 

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