अयोध्या पर लिखी किताब पर नहीं थम रहा बवाल, खुर्शीद-चिदंबरम और दिग्विजय के खिलाफ शिकायत

शिकायतकर्ता का नाम आचार्य चंद्र किशोर पराशर है जो बिहार के मुजफ्फरपुर में रहते हैं. उनके अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया है कि सलमान खुर्शीद की किताब ने हिन्दू धर्मावलंबियों को नीचा दिखाने का प्रयास किया है.

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कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद

मणिभूषण शर्मा

  • मुजफ्फरपुर,
  • 20 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:29 PM IST
  • अयोध्या पर लिखी किताब पर नहीं थम रहा बवाल
  • खुर्शीद-चिदंबरम और दिग्विजय के खिलाफ शिकायत

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की किताब सन राइज ओवर अयोध्या को लेकर बवाल जारी है. किताब पर हिंदुत्व के अपमान का आरोप लगा है. अब किताब को लेकर सलमान खुर्शीद, दिग्विजय सिंह और पी चिदंबरम के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है. ये शिकायत  CJM कोर्ट में धारा 121, 121ए, 123 ,504 के तहत दर्ज हुई है.

अयोध्या पर लिखी किताब पर नहीं थमा बवाल

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शिकायतकर्ता का नाम आचार्य चंद्र किशोर पराशर है जो बिहार के मुजफ्फरपुर में रहते हैं. उनके अधिवक्ता ने कोर्ट में बताया है कि सलमान खुर्शीद की किताब ने हिन्दू धर्मावलंबियों को नीचा दिखाने का प्रयास किया है. वहीं ये भी कहा गया है कि किताब के लोकार्पण के दौरान तीनों सलमान खुर्शीद, दिग्विजय सिंह और पी चिदंबरम ने भड़काऊ बयान दिए थे. इस वजह से भी इन तीनों के खिलाफ ये शिकायत दर्ज करवाई गई है.

क्यों है किताब को लेकर विवाद?

अब इस मामले में 30 नवंबर को सुनवाई होनी है. तब जाकर साफ होगा कि कांग्रेस नेता के खिलाफ कोई एक्शन लिया जाएगा या नहीं. जानकारी के लिए बता दें कि सलमान खुर्शीद ने सन राइज ओवर अयोध्या के नाम से एक किताब लिखी है. उस किताब के छठे चैप्टर को लेकर विवाद हुआ है. उस चैप्टर में खुर्शीद ने हिंदुत्व की तुलना बोको हराम और ISIS की विचारधारा से कर दी.

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उस तुलना ने ही इस किताब को विवादों में ला दिया और बीजेपी ने कांग्रेस पर हिंदुओं के अपमान का आरोप लगाया. अभी तक इस विवाद पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और कुछ दूसरे नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दे दी है. सभी हिंदुत्व को हिंदू से अलग करके देख रहे हैं. लेकिन ये विवाद कम होने के बजाय बढ़ता जा रहा है.

खुर्शीद को कहा मिली राहत?

हाल ही में पटियाला हाई कोर्ट से जरूर सलमान खुर्शीद को राहत दी गई थी. कोर्ट ने अपने फैसले में हिंदू सेना को कहा था कि अभिव्यक्ति के अधिकार पर रोक नही लगाई जा सकती. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहे तो किताब के विरोध में प्रचार कर सकता है.  

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