विकास की रफ्तार तेज नहीं हुई, तो अपना 'डेमोग्राफिक डिविडेंड' खो सकता है भारत: सद्‌गुरु

कोयंबटूर में INSIGHT कार्यक्रम में सद्गुरु ने कहा कि भारत की युवा ऊर्जा दुनिया का चमत्कार बन सकती है, लेकिन फोकस न होने पर आपदा. उन्होंने अगले 25 वर्षों में बुजुर्ग आबादी बढ़ने की चेतावनी दी. सद्गुरु ने शिक्षा को सरकारी नियमों से मुक्त करने और स्टार्टअप्स के लिए अमेरिका जैसा सुरक्षा तंत्र बनाने पर जोर दिया, ताकि असफलता के परिणाम विनाशकारी न हों.

Advertisement
सद्गुरु ने कहा कि विकास का भविष्य आज की पीढ़ी पर निर्भर है (Photo-ITG) सद्गुरु ने कहा कि विकास का भविष्य आज की पीढ़ी पर निर्भर है (Photo-ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 1:16 PM IST

कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र में आयोजित बिजनेस लीडरशिप इंटेंसिव INSIGHT: The DNA of Success' के दूसरे दिन संबोधित करते हुए हुए सद्‌गुरु ने कहा, "भारत में जैसी हलचल और ऊर्जा है, वैसी किसी और देश में नहीं है. हमारे पास एक युवा आबादी है... और यदि हमारे पास बहुत ही केंद्रित, सक्षम और प्रेरित युवा हैं, तो यह दुनिया का सबसे बड़ा चमत्कार होगा. लेकिन अगर हमारे पास एक बिना फोकस वाली, अक्षम और प्रेरणाहीन आबादी है, तो यह सबसे बड़ी आपदा होगी."

Advertisement

राष्ट्रीय विकास में तत्परता और दिशा की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, "अभी जिसे हम 'डेमोग्राफिक डिविडेंड' कह रहे हैं, अगर हम सिर्फ 25 साल इंतजार करें, तो जिसे हम युवा राष्ट्र मान रहे हैं, वहां एक अरब बुजुर्ग लोग होंगे." उन्होंने बताया कि भारत के विकास का भविष्य इस बात पर निर्भर करता है कि आज की पीढ़ी वर्तमान अवसरों के प्रति कैसी प्रतिक्रिया देती है.

भारतीय गांवों में हो रहे बदलावों को स्वीकार करते हुए,सद्‌गुरु ने विकास की गति तेज करने पर जोर दिया. "यह बहुत अच्छी बात है, लेकिन यह काफी नहीं है क्योंकि इस पीढ़ी का जीवन बदलना चाहिए. ऐसा होने के लिए, हर चीज में गति और ऊर्जा होनी चाहिए."

सॉफ्ट फाइनेंस पर जोर

वर्तमान और आने वाली पीढ़ी के लिए विकास का रास्ता बताते हुए,सद्‌गुरु ने महत्वाकांक्षी उद्यमियों के लिए पोषण, शिक्षा और 'सॉफ्ट फाइनेंस' के महत्व पर जोर दिया. "दुर्भाग्य से, देश में फाइनेंस हासिल करने के लिए जोर-जबरदस्ती की जरूरत पड़ती है. आज इसमें काफी बदलाव आया है, लेकिन अभी भी यह भरोसे के आधार पर नहीं हो रहा है; यह अभी भी थोड़ा बहुत दबाव, भ्रष्टाचार या जुगाड़ के माध्यम से हो रहा है."

Advertisement

यह भी पढ़ें: सद्गुरु का डीपफेक वीडियो दिखाकर महिला से 3.75 करोड़ रुपये की ठगी

सद्गुरु ने शिक्षा क्षेत्र को अत्यधिक सरकारी नियमों से मुक्त करने का सुझाव दिया. उन्होंने बताया की, "यह विचार केवल लगभग सौ साल पुराना है कि एक सर्टिफिकेट होने से दरवाजे खुल जाएंगे. दुनिया के इतिहास में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि सिर्फ आपके हाथ में एक कागज होने की वजह से कोई दरवाजा खुल जाए. लोग जांचते थे कि आप सक्षम हैं या नहीं, किसी न किसी तरीके से; उनके पास इसे परखने के अपने तरीके थे."

अधिक गतिशील विकल्पों पर जोर देते हुए, उन्होंने साझा किया, "इन सभी बोर्डों को स्थापित न करें, वे बेजान बोर्ड हैं, ठीक है? यदि ग्रामीण आबादी के पास कोई अन्य साधन नहीं है, और हम उन्हें स्कूल उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं, तो वे सरकारी बोर्ड में पढ़ना चाहते हैं तो पढ़ सकते हैं. लेकिन जो लोग खर्च उठा सकते हैं, उन्हें अधिक चुस्त और गतिशील शिक्षा की ओर बढ़ना चाहिए. शिक्षा के ऐसे गतिशील रूप, जिन्हें किसी नियम से चलने की आवश्यकता नहीं है, बस जो किया जा रहा है उससे बच्चे और माता-पिता खुश होने चाहिए."

यह भी पढ़ें: 'सद्गुरु की झूठी गिरफ्तारी' विज्ञापन हटाने के ल‍िए अपनी तकनीक यूज करे गूगल, हाईकोर्ट ने दिया आदेश

Advertisement

स्टार्टअप्स के लिए सुरक्षा तंत्र की मांग

भारत के स्टार्टअप माहौल की तुलना संयुक्त राज्य अमेरिका से करते हुए, उन्होंने नोट किया कि हालांकि विफलता की दर देशों में समान हो सकती है, लेकिन भारत में इसके परिणाम कहीं अधिक गंभीर हैं. "अगर कोई अमेरिका में नीचे गिरता है, तो वे मरते नहीं हैं क्योंकि वहां एक सुरक्षा तंत्र है. जैसा कि मैंने पहले कहा, अगर उन्हें लगता है कि आपका विचार अच्छा है, तो कोई न कोई आपको तुरंत फिर से फाइनेंस करने को तैयार रहता है, लेकिन यहां, अगर आप गिरते हैं, तो आपका सिर फट जाता है."

उन्होंने आगे कहा, "इसलिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि पूरे स्टार्टअप इकोसिस्टम को केवल उत्साह के बजाय थोड़ी और समझदारी के साथ आगे बढ़ना चाहिए. इसमें अधिक विवेक और क्षमता पैदा करने की जरूरत है. अगर कोई असफल होता है, तो उस व्यक्ति के लिए परिणाम विनाशकारी होते हैं. इसे बदलना होगा."

उन्होंने प्रतिभागियों से विकास को प्रभावित करने वाली नीतियों को आकार देने में सक्रिय रहने का आग्रह किया. "यदि आपके पास विचार हैं, तो आपको महीने में कम से कम एक बार एक पत्र जरूर लिखना चाहिए. यदि आप वास्तव में इस आबादी की प्रगति में रुचि रखते हैं." उन्होंने देश के नेतृत्व के विभिन्न स्तरों के साथ लगातार संवाद करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा.

Advertisement

सद्‌गुरु एकेडमी के बारे में

योगी, मिस्टिक और दूरदर्शी, सद्‌गुरु द्वारा शुरू की गई 'सद्‌गुरु एकेडमी', लीडरशिप की बेहतरीन शिक्षा प्रदान करती है. इसमें बाहरी कौशल को आंतरिक खुशहाली के साधनों के साथ सिखाया जाता है. इसका उद्देश्य ऐसे अग्रणी तैयार करना है जो अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल कर सकें, अपनी 'आतंरिक खुशहाली' में गहराई से स्थिर हों और समावेश की भावना से काम कर पाएं, ताकि उनके फैसले और काम ज़्यादा प्रभावशाली हों. 

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement