सोमनाथ मंदिर का पुनरुद्धार और पाकिस्तान से मंगाया गया सिंधु नदी का पानी... पढ़ें- 1951 का वो किस्सा

पाकिस्तान में भारत के तत्कालीन कार्यवाहक उच्चायुक्त खूबचंद द्वारा विदेश मंत्रालय के एक उपसचिव को 30 मार्च, 1951 का एक पत्र लिखा गया था. इसमें जिक्र किया गया था कि पाकिस्तान सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन पाकिस्तानी प्रेस में कुछ आलोचना हो सकती है.

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सोमनाथ मंदिर के पुनरुद्धार के लिए सिंधु नदी का जल लाया गया था सोमनाथ मंदिर के पुनरुद्धार के लिए सिंधु नदी का जल लाया गया था

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 06 मई 2025,
  • अपडेटेड 10:30 PM IST

भारत की आज़ादी के महज 4 साल बाद गुजरात के प्राचीन सोमनाथ मंदिर का पुनरुद्धार किया गया था. इस दौरान  आयोजित एक धार्मिक अनुष्ठान के लिए पाकिस्तान से सिंधु नदी का जल मंगवाया गया था, और उस समय पाकिस्तान सरकार ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी. ये जानकारी नेशनल आर्काइव्स ऑफ इंडिया में सुरक्षित ऐतिहासिक दस्तावेज़ों में दर्ज है. 

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इन दस्तावेजों के मुताबिक फरवरी 1951 में एक तत्कालीन रियासत प्रमुख ने भारत सरकार से अनुरोध किया था कि पाकिस्तान से सिंधु नदी का कुछ जल मंगवाया जाए, ताकि इसे सोमनाथ मंदिर के पुनरुद्धार समारोह में अन्य पवित्र स्थलों की मिट्टी और जल के साथ मिलाकर इस्तेमाल किया जा सके. ये घटना भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) से 9 साल पहले की है. सिंधु जल संधि सितंबर 1960 में हुई थी. हालांकि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इस संधि को स्थगित कर दिया है.

पाकिस्तान में भारत के तत्कालीन कार्यवाहक उच्चायुक्त खूबचंद द्वारा विदेश मंत्रालय के एक उपसचिव को 30 मार्च, 1951 का एक पत्र लिखा गया था. इसमें जिक्र किया गया था कि पाकिस्तान सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन पाकिस्तानी प्रेस में कुछ आलोचना हो सकती है. पत्र में यह भी कहा गया था कि पाकिस्तानी प्रेस संभवतः यह सवाल उठा सकता है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र होने का दावा करता है, फिर भी एक मंदिर के पुनर्निर्माण को इतने 'धार्मिक समारोह' के साथ मना रहा है. इसके अतिरिक्त यह तर्क भी दिया जा सकता है कि सिंधु अब भारतीय नदी नहीं रही, यह पाकिस्तान की लाइफ लाइन है. सिंधु जल का उपयोग ये दर्शाता है कि भारत अभी भी इस नदी को अपने लिए पवित्र मानता है. 

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खूबचंद ने ये भी सुझाव दिया कि हाई कमिशन द्वारा सिंधु जल भेजे जाने की बात को प्रचारित न किया जाए, और अगर जरूरी हो तो इसे बहुत संयमित ढंग से ही शेयर किया जाए. सिंधु नदी न केवल हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाती है, बल्कि प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता का नाम भी इसी नदी पर पड़ा है, जिसकी अधिकांश प्रमुख स्थलियां वर्तमान पाकिस्तान में स्थित हैं.

बता दें कि ये फैक्ट भी महत्वपूर्ण है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भारत की धर्मनिरपेक्ष नीतियों का हवाला देते हुए सार्वजनिक धन से मंदिर के पुनरुद्धार का विरोध किया था. इसके बावजूद 1951 में सोमनाथ मंदिर के पुनरुद्धार के साथ सिंधु जल का प्रयोग एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संदेश बनकर उभरा.

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