महाराष्ट्र और केरल में क्यों सबसे घातक हुई कोरोना की दूसरी लहर, एक्सपर्ट्स ने गिनवाईं वजहें

कोरोना महामारी (Corona outbreak) के दौर में सबसे ज्यादा टेंशन महाराष्ट्र और केरल ने दी. दोनों ही राज्यों में संक्रमण तेजी से फैलने की अलग-अलग वजहें थीं.

Advertisement
महाराष्ट्र, केरल में सबसे ज्यादा फैला कोरोना संक्रमण महाराष्ट्र, केरल में सबसे ज्यादा फैला कोरोना संक्रमण

साहिल जोशी / गोपी उन्नीथन

  • मुंबई/तिरुवनंतपुरम,
  • 22 जून 2021,
  • अपडेटेड 12:12 PM IST
  • कोरोना महामारी संकट में महाराष्ट्र और केरल का हाल सबसे खराब रहा
  • भारत में महाराष्ट्र कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है
  • केरल, महामाष्ट्र में कोरोना केस ज्यादा मिलने की अलग-अलग वजहें हैं

कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप फिलहाल कुछ कम होता दिख रहा है. लेकिन पहली के बाद दूसरी कोरोना लहर में भी दो राज्यों ने सबसे ज्यादा चिंता बढ़ाई है. इसमें महाराष्ट्र और केरल का नाम शामिल है. एक तरफ महाराष्ट्र महामारी की शुरुआत से अबतक सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य रहा है. वहीं दूसरी तरफ केरल ने पहली कोरोना लहर को तो ठीक से कंट्रोल किया, लेकिन दूसरी लहर में वहां भी कोरोना केस बहुत तेजी से बढ़े.

Advertisement

महाराष्ट्र और केरल में कोरोना केसों के बढ़ने के अपने-अपने कारण थे. महाराष्ट्र की बात करें तो वहां हेल्थ एक्सपर्ट ने ज्यादा जनसंख्या घनत्व, कोरोना नियमों का टूटना आदि को जिम्मेदार ठहराया. इसके साथ-साथ सीजनल फ्लू का भी इसमें रोल रहा. मई में हालात इतने खराब हो गए थे कि भारत की कुल कोविड मौतों में से एक चौथाई सिर्फ महाराष्ट्र में हुई थीं.

इसके साथ-साथ ज्यादा टेस्टिंग भी ज्यादा मामले सामने आने की वजह है. अप्रैल-मई में राज्य ने 70-70 लाख टेस्ट किए हैं. नवंबर 2020 से जनवरी 2021 में जब कोरोना संकट कुछ कम हो गया था, तब भी राज्य में हर महीने 18 लाख के करीब टेस्ट हुए थे.

दूसरी लहर में महाराष्ट्र के गांवों तक पहुंचा कोरोना

कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना महाराष्ट्र के गांवों तक पहुंच गया था, जिसने ज्यादा चिंता बढ़ाई थी. दरअसल, पहली लहर तक मुंबई का ही बुरा हाल था. तो मानकर चला गया कि मुंबई में विदेशी से यात्री, खासकर मिडिल ईस्ट से आते हैं तो हो सकता है कि उनसे कोरोना तेजी से फैला हो. तब अमरावती जैसे दूसरे इलाकों में रोजोना सिर्फ 100 कोरोना केस मिल रहे थे. वहीं मुंबई में रोजोना 35 हजार तक मामले आ रहे थे.

Advertisement

पढ़ें - वैक्सीन और इम्युनिटी दोनों को चकमा दे सकता है कोरोना का नया वैरिएंट डेल्टा प्लस: एक्सपर्ट्स

लेकिन मई 2021 में अमरावती में रोज एक हजार तक कोरोना केस देखने को मिले. जबकि यहां कोई इंटरनैशनल एयरपोर्ट नहीं है, ना ही मुंबई की तरह यहां जनसंख्या घनत्व ज्यादा है. अमरावती जैसे इलाकों के साथ ऐसा क्यों हुआ इसकी जानकारी अबतक नहीं है. लेकिन वहां जिसको भी मौसमी सर्दी हुई, फिर जब उसने कोरोना टेस्ट करवाया तो रिजल्ट पॉजिटिव आया.

केरल को चुनाव की वजह से लगा कोरोना का तेज झटका? 

कोरोना की पहली लहर को केरल ने काफी अच्छे से कंट्रोल किया था. लेकिन दूसरी लहर में उसकी हालत भी खराब थी. एक्सपर्ट्स की मानें तो इसकी वजह कहीं ना कहीं केरल विधानसभा चुनाव भी था. अप्रैल के पहले हफ्ते में चुनाव थे. लेकिन इसकी तैयारियां मार्च से शुरू थीं. पार्टियों, कार्यकर्ताओं ने जमकर कोरोना नियमों का उल्लंघन किया.

इसे आंकड़े से ऐसे समझें कि मार्च 15 को केरल में 1,054 केस सामने आए थे. 3 अगस्त 2020 के बाद यह सबसे कम थे. लेकिन मार्च के तीसरे हफ्ते में वहां रोजाना 1800 से ज्यादा केस सामने आने लगे. महाराष्ट्र की तरह टेस्टिंग में कमी केरल ने भी नहीं छोड़ी. वहां मई में करीब 40 लाख कोरोना टेस्ट हुए थे.

Advertisement

2011 की जनगणना के मुताबिक तो केरल में एक स्क्वॉयर मीटर में 859 लोग रहते हैं. लेकिन आंकड़े में असली ट्विस्ट तब आता है जब केरल स्थित जंगल की जमीन को अलग किया जाए. केरल की कुल जमीन में से 52.3 फीसदी जमीन पर सिर्फ जंगल है. इस तरह से देखें तो वहां भी जनसंख्या घनत्व अच्छा खासा हो जाता है, और इस वजह से भी कोरोना संक्रमण को फैलने में ज्यादा मदद मिली.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement