'मुझे परेशान करने के लिए उठाया गया मामला...', बंगला आवंटन मामले में राघव चड्ढा ने हाईकोर्ट में दी दलील

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राघव चड्डा ने कहा कि 'उन्हें उनकी शादी के वक्त से ही परेशान किया जा रहा है. पिछले दिनों आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्डा ने अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा से शादी की है. चड्ढा की वकील ने कहा कि संसद सदस्य को एक नोटिस दिया गया और बंगला खाली कराने की कार्यवाही जारी है.

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आप सांसद राघव चड्ढा (फाइल फोटो) आप सांसद राघव चड्ढा (फाइल फोटो)

अनीषा माथुर

  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 10:05 PM IST

आप नेता और राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा के बंगला आवंटन रद्द किए जाने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. उनकी ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी और दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि राघव चड्ढा को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने टाइप 7 बंगला अलॉट किया था, उन्होंने इसके पीछे तर्क दिया कि उन्हें धमकियां मिल रही थीं, इसलिए उन्हें z प्लस सुरक्षा दी गई थी.   

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राघव चड्डा ने कहा कि 'उन्हें उनकी शादी के वक्त से ही परेशान किया जा रहा है. पिछले दिनों आप के राज्यसभा सांसद राघव चड्डा ने अभिनेत्री परिणीति चोपड़ा से शादी की है. चड्ढा की वकील ने कहा कि संसद सदस्य को एक नोटिस दिया गया और बंगला खाली कराने की कार्यवाही जारी है. उन्होंने इससे पहले कहा कि निचली अदालत की ओर से रोक लगायी गयी थी लेकिन इसे अब हटा लिया गया है.'

निचली अदालत ने पांच अक्टूबर को आदेश दिया था कि ‘आप’ नेता राघव चड्ढा यह दावा नहीं कर सकते कि आवंटन रद्द होने के बाद भी उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान सरकारी बंगले पर कब्जा कायम रखने का पूर्ण अधिकार है. अदालत ने 18 अप्रैल को पारित उस अंतरिम आदेश को रद्द करते हुए यह टिप्पणी की जिसमें राज्यसभा सचिवालय को चड्ढा को सरकारी बंगले से बेदखल नहीं करने का निर्देश दिया गया था. निचली अदालत ने कहा कि चड्ढा को अंतरिम राहत दी गई थी कि उन्हें कानूनी प्रक्रिया के बिना आवास से बेदखल नहीं किया जाएगा.

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सिंघवी ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि चड्ढा को पहली बार सांसद होने के बावजूद "सुरक्षा स्थिति" के कारण पंडारा रोड बंगला आवंटित किया गया था. चड्ढा को Z+ सुरक्षा प्राप्त है और पंजाब में जान से मारने की धमकी मिलने के बाद उन्हें सुरक्षा दी गई थी.

बकौल आप सांसद “मुझे पहले टाइप 5 आवंटित किया गया था, फिर उपराष्ट्रपति ने इस मुद्दे पर अपना दिमाग लगाया और टाइप 7 आवंटित किया. भले ही मैं इस निर्णय का हकदार नहीं हूं कि यह निष्कासन अधिकारी द्वारा पीपी अधिनियम के तहत निर्णय नहीं है. मुझे Z+ सुरक्षा प्राप्त व्यक्ति के रूप में स्वीकार किया गया है और पुलिस अधिकारियों की एक टुकड़ी मेरे घर में बैठती है. ऐसा नहीं है कि सुरक्षा केवल तभी लागू होती है जब मैं पंजाब में होता हूं. इसका मतलब यह नहीं कि जब मैं दिल्ली में रहूं तो मेरी हत्या कर दी जाये! जब मैं दिल्ली में होता हूं तो मेरी भी सुरक्षा की जानी चाहिए,'' सिंघवी ने तर्क दिया.

इस मामले में उठाए गए एक तकनीकी तर्क में यह सवाल भी शामिल है कि क्या राज्यसभा सचिवालय के फैसले को सिविल कोर्ट के समक्ष मुकदमे की कार्यवाही में चुनौती दी जा सकती थी. सिंघवी ने अपनी दलीलों में यह तर्क दिया कि सचिवालय नागरिक प्रक्रिया संहिता के तहत "सरकार" की परिभाषा में नहीं आता है, और इसलिए चड्ढा सार्वजनिक परिसर अधिनियम के तहत अधिकारियों से संपर्क करने के बजाय अदालत में मुकदमा दायर करने के हकदार थे.

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“चड्ढा ने दावा किया है कि उनके पड़ोसी भी पहली बार सांसद बने सुधांशु त्रिवेदी, दानिश अली और अन्य हैं. उनकी पूर्ववर्ती रूपा गांगुली भी पहली बार सांसद बनी थीं. न्यायालयों ने पिछले फैसलों में कहा है कि आप दूसरों की स्थिति की दलील का दावा नहीं कर सकते, आपको आपकी योग्यता के आधार पर आंका जाना चाहिए. यह कोई ऐसा तर्क नहीं है जिसे कानून में उठाया जा सके.

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