पुणे पोर्श मामले (Pune Porsche Case) में अभियोजन पक्ष यानी आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करवाने वालों ने अदालत को बताया है कि नाबालिग आरोपी को बचाने के लिए दूसरे अस्पताल में ब्लड सैंपल्स बदलने की कोशिश की गई थी, लेकिन वे सफल नहीं हुए. कोड ऑफ क्रिमिनिल प्रोसीजर की धारा 173(8) के तहत एडिशनल डॉक्यूमेंट पेश करते हुए, अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुणे पुलिस को संदेह था कि ब्लड सैंपल में छेड़छाड़ की संभावना है. बता दें कि सबसे पहले ससून हॉस्पिटल में नाबालिग ब्लड सैंपल लिए गए थे.
पुलिस ने मंगलवार को अदालत को बताया कि इसके बाद पुलिस ने एहतियात के तौर पर औंध सरकारी अस्पताल में नाबालिग आरोपी के ब्लड सैंपल्स कलेक्ट किए थे, लेकिन उसके माता-पिता सहित कुछ अन्य लोगों को इसकी भनक लग गई.
नहीं मिला था डॉक्टरों का सपोर्ट
अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि आरोपियों ने सैंपल बदलने के लिए औंध हॉस्पिटल के अधिकारियों को अप्रोच किया, लेकिन वहां के डॉक्टरों ने सहयोग करने से इनकार कर दिया.
19 मई, 2024 को पुणे के कल्याणी नगर इलाके में एक 17 वर्षीय नाबालिग पोर्श कार लेकर जा रहा था, जो नशे की हालत में था. इस दौरान हुए हादसे में दो आईटी प्रोफेशनल्स अनीश अवधिया और अश्विनी कोस्टा की जान चली गई. मामले की जांच में पता चला कि हादसे के वक्त नाबालिग आरोपी की नशे की हालत को छिपाने के लिए ससून अस्पताल में उसके ब्लड सैंपल्स को उसकी मां के ब्लड सैंपल्स से बदल दिया गया था.
क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया, "जिस तरह उन्होंने ससून हॉस्पिटल में ब्लड सैंपल्स के साथ छेड़छाड़ की, उसी तरह नाबालिग के माता-पिता और बिचौलिए अश्पक मकंदर ने औंध अस्पताल में भी ऐसा करने की कोशिश की, लेकिन डॉक्टरों ने उनकी बात मानने से इनकार कर दिया."
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ससून अस्पताल में कथित सैंपल अदला-बदली मामले में, फॉरेंसिक डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ. अजय टावरे, मेडिकल ऑफिसर श्रीहरि हल्नोर और एक कर्मचारी अतुल घाटकांबले जांच के दायरे में आए, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
ससून हॉस्पिटल के तीन कर्मचारियों के अलावा, नाबालिग के पिता, बिचौलिए मकंदर और अमर गायकवाड़, आदित्य अविनाश सूद, आशीष मित्तल और अरुण कुमार सिंह कथित ब्लड सैंपल की अदला-बदली के मामले में फिलहाल जेल में हैं.
कोर्ट में आरोप तय करने को लेकर बहस चल रही है. सीआरपीसी की धारा 173(8) चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी मामले की आगे की जांच चलती रहेगी.
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