इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद मोहम्मद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम का निर्वाचन रद्द होने से खाली हुई रामपुर की स्वार विधानसभा सीट पर भी उपचुनाव कराने का आदेश दिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को फौरन चुनाव प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया.
रामपुर के स्वार तहसील की नगर पालिका परिषद के पूर्व अध्यक्ष शफीक अहमद की अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस पंकज भाटिया की डिविजन बेंच के इस आदेश के बाद स्वार सीट पर भी विधानसभा चुनाव होने का रास्ता साफ हो गया है.
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद निर्वाचन आयोग अब एक हफ्ते के अंदर नोटिफिकेशन जारी कर सकता है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में अब्दुल्ला आजम का केस पेंडिंग होने की वजह से निर्वाचन आयोग ने स्वार विधानसभा सीट पर चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया था. हालांकि कोर्ट ने निर्वाचन आयोग की दलील मानने से इनकार करते हुए चुनाव कराए जाने का आदेश दिया है.
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2019 को अब्दुल्ला आजम का निर्वाचन रद्द कर दिया था. दरअसल रामपुर के भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता आकाश सक्सेना ने मोहम्मद आजम खान के बेटे के दो-दो और फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर चुनाव लड़ने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था. जिसे आजम खान की ओर से हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अब्दुल्ला आजम का निर्वाचन रद्द कर दिया था
हाईकोर्ट के फैसले के बाद रामपुर की स्वार विधानसभा सीट रिक्त घोषित हो गई. विधानसभा सचिवालय ने 27 फरवरी को सीट रिक्त होने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था. यूपी में कुल इन दिनों सात सीटों पर उपचुनाव हो रहा है, लेकिन रामपुर सीट पर उपचुनाव नहीं हो रहा था. लेकिन हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब जल्द ही निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू होगी.
याचिकाकर्ता के वकील के विक्रांत पांडेय ने बताया कि रामपुर जिले की स्वार नगर पालिका परिषद के पूर्व चेयरमैन शफीक अहमद अंसारी ने यह कहते हुए याचिका दाखिल की थी कि 30 सितंबर 2020 को एक नोटिफिकेशन आया जिसमें देशभर की कई विधानसभा और एक संसदीय क्षेत्र के लिए उपचुनाव का ऐलान हुआ था, लेकिन स्वार विधानसभा के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ, जिसके खिलाफ अहमद कोर्ट चले गए. याचिका पर जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस पंकज भाटिया की खंडपीठ ने इस पूरे प्रकरण को 2 दिन लगातार सुना और चुनाव आयोग के किसी भी दलील को नहीं माना.
पंकज श्रीवास्तव