प्रदूषण के कारण भारत में 16.7 लाख मौतें, 36.8 अरब डॉलर का नुकसान

रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में 1.67 मिलियन मौतें प्रदूषण के कारण हुईं जो कि कुल मौतों का 18% है. यानी भारत में 2019 में 18 फीसदी लोगों की मौत प्रदूषण के कारण हुई.

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Pollution deaths in India Pollution deaths in India

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 10:41 AM IST

प्रदूषण और जहरीली हवा के कारण भारत में 2019 में 16.7 लाख लोगों की जान चली गई. इस बात की जानकारी द लांसेट द्वारा जारी एक रिपोर्ट में दी गई है. द लांसेट के मुताबिक प्रदूषण ने 2017 की तुलना में 2019 में भारत में अधिक लोगों की जान ली. रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में 1.67 मिलियन मौतें प्रदूषण के कारण हुईं जो कि कुल मौतों का 18% है. यानी भारत में 2019 में 18 फीसदी लोगों की मौत प्रदूषण के कारण हुई.

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2017 में 12.4 लाख मौतें
2017 के आंकड़े को देखें तो उस वर्ष में भारत में प्रदूषण के कारण 12.4 लाख लोगों की मौत हुई थी जो कि देश में हुईं कुल मौतों का 12.5 फीसदी हिस्सा था. द लांसेट की रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन में पाया गया कि प्रदूषण के कारण कई प्रकार की बीमारियां भी हुईं जिसके कारण लोगों की जान गई, इसमें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, रेस्पिरेटरी इंफेक्शन, लंग कैंसर, हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, डायबिटीज, नियोनेटल डिसऑर्डर और मोतियाबिंद शामिल है.

यूपी को जीडीपी में बड़ा नुकसान
प्रदूषण की मार भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ी है. वर्ष 2019 में वायु प्रदूषण के कारण हुई मौतों और बीमारियों की वजह से भारत की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद को 36.8 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ जो कि कुल जीडीपी का करीब 1.4 फीसदी है. लांसेट की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य स्तर पर प्रदूषण के कारण सबसे ज्यादा नुकसान उत्तर प्रदेश को हुआ है. जबकि प्रति व्यक्ति आय के मामले में दिल्ली को सबसे ज्यादा घाटा हुआ है.

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दिल्ली पर सबसे ज्यादा असर
लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ पत्रिका की इस रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर नई दिल्ली पर पड़ा है, यही कारण है कि नई दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी पाई गई है. इसके बाद हरियाणा का नंबर आता है. पिछले वर्ष यानी 2019 में दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय में करीब 4,578 रुपये की गिरावट दर्ज की गई. वहीं, हरियाणा को प्रति व्यक्ति आय के रूप में 53.8 डॉलर यानी करीब 3,973 रुपये का नुकसान हुआ.

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हालांकि, पिछले 19 वर्षों में यानी 1990 से 2019 के बीच देश में घरों में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रदूषणकारी ईंधन से होने वाली मौतों में 64.2 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में कोविड के कारण लगे लॉकडाउन में वायु गुणवत्ता में काफी सुधार देखा गया, जो कि लॉकडाउन में ढील के साथ बढ़ता चला गया. यानी देश में लोगों के बाहर निकलने पर लगी पाबंदी से प्रदूषण में भी कमी आई थी.

सरकार ने एक बयान में कहा कि भारत को 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण कार्यक्रमों में और अधिक निवेश करने की आवश्यकता होगी, जो अब लगभग 2.9 ट्रिलियन डॉलर है.

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स्विस एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजी कंपनी IQAir के मुताबिक भारत के तीन मुख्य शहर, नई दिल्ली, कोलकाता और मुंबई, दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल हैं.

 

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