प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (25 सितंबर) को दिल्ली में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा का अनावरण कर उसे लोकार्पित किया. यह प्रतिमा राष्ट्रीय राजधानी में बीजेपी दफ्तर के सामने बने पार्क में ही स्थापित की गई है. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि उनका जीवन भी रेल की पटरी से जुड़ा हुआ था, मेरा जीवन भी रेल की पटरी से जुड़ा हुआ है. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यह भी कहा, 'ये कितना अद्भुत सुखद सहयोग है. इस पार्क के सामने ही भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय है.'
बीजेपी दफ्तर के सामने पार्क में स्थापित हुई प्रतिमा
प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने पंडित दीन दयाल उपाध्याय के जीवन पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि, 'ये दीन दयाल उपाध्याय पार्क है और सामने ही बीजेपी का कार्यालय है. उन्हीं के रोपे हुए बीज से आज वह वट वृक्ष बन चुकी है. ये प्रतिमा हमें हमारे अंत्योदय के संकल्प की याद दिलाती रहेगी. हमें देश में राजनीतिक शुचिता को हमेशा बनाए रखना है. उनके चरणों में नमन करता हूं.'
प्रतिमा का लोकार्पण करना मेरा सौभाग्यः पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "कभी-कभी लगता है कि उनका जीवन भी रेल की पटरी से जुड़ा हुआ था और मेरा भी जीवन रेल की पटरी से जुड़ा रहा है. मैं सुबह उस पवित्र स्थान पर से आज यहां सीधा आया हूं और इस शाम मुझे दिल्ली में पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क में उनकी प्रतिमा के लोकार्पण का अवसर मिला है. ये कितना अद्भुत सुखद सहयोग है. इस पार्क के सामने ही भारतीय जनता पार्टी का कार्यालय है. आज मुझे जयपुर में धानक्या रेलवे स्टेशन जाने का सौभाग्य मिला. बीजेपी सरकार के दौरान वहा स्मारक बना. काशी के पास ही दीनदयाल जी ने जहां अंतिम सांस ली वहा भी उनका स्मारक बना है. वहा भी आपको जाना चाहिए. दीनदयाल जी और मेरा जीवन रेल की पटरी से जुड़ा रहा.'
राजनीति में महिलाओं की भागीदारी जरूरी
उन्होंने कहा कि, राजनीति में महिलाओं की उचित भागीदारी के बिना सफल लोकतंत्र नहीं हो सकता है. यह लोकतंत्र के साथ साथ बीजेपी की वैचारिक जीत भी है. दीनदयाल जी ने अपने मामा को पत्र भेजा जिसमें उन्होंने लिखा था कि एक ओर भावना खींचती है दूसरी ओर हुतात्मा पुकारते हैं. दीनदयाल जी ने अंत्योदय को चुना. हमारी सरकार भी इसी भाव से काम कर रही है. शत फीसदी अंत्योदय का अर्थ है भेदभाव पक्षपात और तुष्टिकरण को समाप्त करना. हमारा सेवा अभियान सामाजिक न्याय का है और यही पंथनिरपेक्षता है.
आज भी प्रभावी हैं पंडित जी के विचार
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यह भी जोड़ा कि, सदियों तक देश मुश्किल हालात में फंसा था. आजादी के बाद भी नए विचार के लिए रास्ते कठिन थे. उस समय भी पंडित दीनदयाल जी ने अपना जीवन न्योछावर किया. मेरा मानना है कि अगर उनकी अचानक और रहस्यमय मृत्यु नहीं हुई होती तो भारत का भाग्य दशकों पहले बदलना शुरू हो जाता. जिस व्यक्ति के विचार आज भी प्रभावी हों, उनके जीवित रहते उनके विचारों का कितना गहरा असर पड़ता. आजादी के अमृतकाल में हम, उन्हीं के विचारों से देश को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं. अब हमारी जिम्मेदारी है, कि कि हम भारत को उसका वह स्वर्णिम भविष्य दें, जिसका सपना कभी पंडित दीनदयाल जी ने देखा था.'
हिमांशु मिश्रा