20 करोड़ कर्ज, 5 साल से अंडरग्राउंड... कार में 7 लोगों के सुसाइड के पीछे क्या कहानी?

प्रवीण मित्तल का जीवन एक समय में संपन्न था, उनके पास फैक्ट्री, गाड़ियां और फ्लैट थे, लेकिन बैंकों द्वारा फैक्ट्री सीज किए जाने के बाद उनकी हालत बिगड़ गई. उनका परिवार समाज में सामान्य और शांत था, इसलिए किसी को अंदेशा नहीं था कि वे अंदर से इतनी गहरी मुश्किलों से जूझ रहे हैं.

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पूरे परिवार ने क्यों कर लिया सुसाइड? पूरे परिवार ने क्यों कर लिया सुसाइड?

आजतक ब्यूरो

  • पंचकूला,
  • 27 मई 2025,
  • अपडेटेड 7:49 PM IST

हरियाणा के पंचकूला से सोमवार रात ऐसी खबर सामने आई जिसने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया. यहां सेक्टर-27 में एक ही परिवार के सात लोगों ने कार के अंदर जहर खाकर सामूहिक आत्महत्या कर ली. आत्महत्या की इस हृदय विदारक घटना के पीछे भारी कर्ज को वजह बताया जा रहा है. मृतकों में कारोबारी प्रवीण मित्तल, उनकी पत्नी, माता-पिता, दो बेटियां और एक बेटा शामिल हैं.

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मूल रूप से हिसार के रहने वाले 42 वर्षीय प्रवीण मित्तल पंचकूला के सकेतड़ी गांव के पास किसी किराए के घर में रह रहे थे. प्रवीण कभी स्क्रैप के बड़े कारोबारी थे, लेकिन धीरे-धीरे उनका कारोबार कर्ज के बोझ तले दबता चला गया. बताया जा रहा है कि उन्होंने सुसाइड से पहले एक धार्मिक कथा में हिस्सा लिया और उसके बाद आत्महत्या कर ली.

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कार में मिला पूरा परिवार

स्थानीय लोगों के मुताबिक, रात करीब 11 बजे एक कार लंबे समय से बंद खड़ी थी. जब लोगों को शक हुआ और कार खोली गई, तब उसमें सात लोगों के शव मिले. सिर्फ प्रवीण मित्तल की सांसें चल रही थीं, जिन्हें बाहर निकाल कर पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उन्होंने जहर खा लिया है. कुछ ही देर बाद उनकी भी मौत हो गई.

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सुसाइड नोट में लिखी आखिरी बातें

प्रवीण मित्तल ने सुसाइड से पहले एक नोट भी लिखा जिसमें उन्होंने कहा, "हम कर्ज से परेशान हो गए हैं. किसी ने मदद नहीं की. हम सभी जहर खा रहे हैं. हमारे अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी मेरे मामा का लड़का उठाएगा."

सफलता से टूटने तक का सफर

कभी फैक्ट्री, गाड़ियां, फ्लैट और सुखी परिवार वाला प्रवीण मित्तल का जीवन पूरी तरह से बदल गया. हिमाचल के बद्दी में उनकी स्क्रैप फैक्ट्री थी, जिसे बैंक ने सीज कर दिया था. प्रवीण मूल रूप से हिसार के बरवाला का रहने वाले थे. करीब 12 साल पहले पंचकूला में शिफ्ट हुए थे. पांच साल तक किसी से कोई संपर्क नहीं किया कुछ समय पहले मोहाली के खरड़ में आकर रहने लगे.

फिलहाल पंचकूला के सकेतड़ी गांव के पास रह रहे थे. कर्ज 20 करोड़ तक पहुंच गया था. हालत इतनी बिगड़ी कि उन्हें पहचान छिपाकर कैब चलानी पड़ी. देहरादून, खरड़ और फिर पंचकूला तक का सफर उन्होंने गुमनामी में बिताया.

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देहरादून में उनके पड़ोसियों और बच्चों के दोस्तों ने बताया कि मित्तल परिवार शांत, सरल और सामाजिक था. किसी को अंदेशा नहीं था कि वे अंदर ही अंदर इतनी बड़ी परेशानियों से जूझ रहे हैं.

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