ऑपरेशन सिंदूर में अटैक से डिफेंस तक, भारतीय सेना के 3000 अग्निवीरों ने दिखाया दम

पहलगाम आतंकी हमले के बाद सैन्यबलों के ऑपरेशन सिंदूर के चार दिनों में अटैक से डिफेंस तक, अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्ती हुए 3000 अग्निवीरों ने भी बहादुरी दिखाई. चार साल के लिए नियुक्त अग्निवीरों का प्रदर्शन नियमित सैनिकों के बराबर रहा.

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ऑपरेशन सिंदूर में अग्निवीर ने भी दिखाई बहादुरी (फोटोः PTI) ऑपरेशन सिंदूर में अग्निवीर ने भी दिखाई बहादुरी (फोटोः PTI)

शिवानी शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 22 मई 2025,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया था. भारतीय सैन्यबलों ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और वहां के पंजाब प्रांत में स्थित आतंकियों के नौ ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया. सैन्यबलों ने पाकिस्तान के करीब दर्जनभर एयरबेस पर भी मिसाइलें दागीं, ड्रोन अटैक किए. इन हमलों में पाकिस्तान के छह एयरबेस तबाह हो गए थे. पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य एक्शन के चार दिनों (7 से 10 मई) में अग्निपथ योजना के तहत भर्ती अग्निवीरों ने भी अहम भूमिका निभाई.

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ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पिछले दो वर्ष में भर्ती हुए करीब तीन हजार अग्निवीरों ने भी बहादुरी दिखाई, जिनमें अधिकतर की उम्र 20 साल के आसपास है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अग्निवीरों ने नियमित जवानों के ही समान प्रदर्शन किया. अग्निवीरों ने एयर डिफेंस सिस्टम का संचालन कर दुश्मन के मिसाइल और ड्रोन हमले नाकाम करने में भी अहम भूमिका निभाई. बताया जा रहा है कि प्रत्येक एयर डिफेंस यूनिट में 150 से 200 अग्निवीर तैनात थे, जिन्हें मुख्य रूप से पश्चिमी मोर्चे पर तैनात किया गया था.

सेना के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अग्निवीर गनर, ऑपरेटर (फायर कंट्रोल), ऑपरेटर (रेडियो), गन और मिसाइल से लैस वाहनों के चालक के तौर पर तैनात थे. अग्निवीरों ने स्वदेश निर्मित एयर डिफेंस कंट्रोल और रिपोर्टिंग सिस्टम 'आकाशवीर' को एक्टिवेट और ऑपरेट करने में मदद की, जो देश के एयर डिफेंस सिस्टम का केंद्र बनकर उभरा है.

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पिछले ही साल सेना में शामिल किया गया आकाशवीर दुश्मन के हमलों की त्वरित पहचान कर जवाबी कार्रवाई में अहम साबित हुआ. अग्निवीर L-70, Zu-23-2B गन चलाने,  पिचोरा, ओसा-एके, टुंगुस्का प्रणालियों के संचालन, आकाश और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को तैनात और लॉन्च करने के साथ ही रडार, संचार नेटवर्क और आकाशवीर को ऑपरेट करने में तैनात किए गए थे.

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सेना में भर्ती के अग्निपथ मॉडल के लिए इस युद्ध के अनुभव को महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है. सेना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अब सेना में अल्पकाल के लिए भर्ती की इस स्कीम को लेकर बहस समाप्त हो जानी चाहिए. गौरतलब है कि अग्निपथ स्कीम के तहत सेना में भर्ती अग्निवीर का कार्यकाल चार साल का होता है. सेना की इस योजना के तहत भर्ती के लिए आयु सीमा 17.5 से 21 साल है.

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पहले वर्ष अग्निवीर को वेतन के मद में 4.76 लाख, चौथे वर्ष में 6.92 लाख रुपये दिए जाते हैं. अग्निवीर का बीमा कवर 48 लाख होता है और मृत्यु की स्थिति में 44 लाख की अनुग्रह राशि का भी प्रावधान है. अग्निवीर को सेवा निधि पैकेज के रूप में 11 लाख 71 हजार रुपये दिए जाते हैं, जिसमें उनका अंशदान 5 लाख दो हजार रुपये का होता है. अग्निवीर को नियमित सैनिकों की तरह पेंशन, स्वास्थ्य सेवा या कैंटीन का लाभ नहीं मिलता. 

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