कोविड-19 महामारी के बीच ये बात साफ हो गई है कि हेल्थ सिस्टम में सुधार की दरकार है. संकट के दौर में इस आयुष्मान भारत योजना के तहत जो दावे किए गए उसकी हकीकत कुछ और ही सामने आई है. RTI के जरिए पता चला है कि 11 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले बिहार में आयुष्मान भारत योजना के तहत सिर्फ 19 लोगों का ही कोविड इलाज हुआ.
जबकि इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश में 875 और झारखंड में 1,419 मरीजों का इलाज किया गया. आजतक/इंडिया टुडे द्वारा दायर RTI के जवाब में भारत सरकार के राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने ये बात कही है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने कहा है कि आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत कुल 23.78 लाख (17.73 लाख परीक्षण और 6.05 लाख उपचार) प्रवेश को मुफ्त परीक्षण और उपचार के लिए अधिकृत किया गया है. जांच किए गए लोगों की संख्या इस योजना के तहत इलाज किए गए लोगों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक है.
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बता दें कि आयुष्मान भारत योजना 2018 में लगभग 50 करोड़ भारतीयों को यह सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए शुरू की गई थी कि गरीबों को अच्छी गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा मिले. इस योजना के तहत एक लाभार्थी प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक मुफ्त चिकित्सा लाभ प्राप्त कर सकता है.
वहीं, तीन राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र ने आयुष्मान भारत योजना के तहत 1.50 लाख से अधिक लोगों का इलाज किया. इसके तहत पंजाब, गुजरात और दमन में एक भी मरीज का इलाज नहीं हुआ. सबसे अधिक आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में इस योजना के तहत केवल 875 लोगों को इलाज मिला. इस योजना के तहत 10 राज्यों में एक भी टेस्टिंग नहीं हुई.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण ने कहा, “कोविड-19 की पहली और दूसरी लहर के बीच स्पष्ट सीमांकन के संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है.” यह हमारे इस सवाल के जवाब में था कि कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान आयुष्मान भारत योजना के तहत कितने कोरोना मरीजों का इलाज किया गया.
अशोक उपाध्याय