ओडिशा के दाना मांझी की कहानी किसको याद नहीं होगी. 24 अगस्त 2016 का दिन, जब पैसे ना होने के कारण पत्नी की लाश को 10 किलोमीटर तक पैदल कंधे पर ढोना पड़ा था. इस तस्वीर के सामने आने के बाद दाना मांझी पूरी दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गया था. ओडिशा के कालाहांडी में जब दाना मांझी अपनी पत्नी अमंग देवी के शव को लेकर पैदल चल रहा था तो उनकी 12 साल की बेटी चांदनी मांझी भी रोते-बिलखते उनके साथ-साथ चल रही थी. उस समय ही उनकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और लोगों से उन्हें हमदर्दी और मदद दोनों ही मिलने लगी.
बहरीन के प्रधानमंत्री खलीफा बिन सलमान अल खलीफा ने दाना मांझी को मदद के लिए 9 लाख रुपये दिए थे. इसके अलावा प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत उसे घर भी मिला. यही नहीं, उसकी तीनों बेटियां भुवनेश्वर के एक बड़े स्कूल में पढ़ रही हैं.
इन तीनों को स्कूल ने मुफ्त शिक्षा की सुविधा दी है. ओडिशा के शिक्षाविद और जनहितैषी अच्युता सामंत ने मांझी के बेटियों को पढ़ाने की जिम्मेदारी ली थी. जिसके बाद उनका एडमिशन कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (KISS) में कराया गया.
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ओडिशा सरकार ने शुक्रवार को जब मैट्रिक परीक्षा (दसवीं) का रिजल्ट जारी किया तो KISS ट्राइबल स्कूल के 1900 छात्रों के भी परिणाम आए. बहुचर्चित दाना मांझी की बेटी चांदनी मांझी भी उन छात्रों में से एक है जिसने दसवीं की परीक्षा सफलतापूर्वक पास की. चांदनी की इस सफलता से आदिवासी समाज के लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई है. उन्होंने डॉ. अच्युत सामंत का आभार प्रकट किया है. जिनकी वजह से इस बच्ची के भविष्य ने एक आकार लेना शुरू किया है.
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वहीं डॉ. अच्युत सामंत ने चांदनी मांझी की सफलता पर खुशी जाहिर करते हुए भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं. आजतक से बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह सब स्कूल के शिक्षकों की मेहनत, KISS के स्टाफ और छात्रों के कठिन परिश्रम और इच्छाशक्ति का नतीजा है. उन्होंने कहा कि मैं चांदनी के सफलतापूर्वक मैट्रीक पास होने पर बेहद खुश हूं. मैं उसके भविष्य के सभी प्रयासों में सफलता की कामना करता हूं.
मोहम्मद सूफ़ियान