राज्य सभा में बीजेपी सांसदों की संख्या बढ़ कर 87 हो गई है. मनोनीत सांसद सतनाम सिंह संधू बीजेपी में शामिल हो गए हैं. बीजेपी में शामिल होने के बाद उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात की. दलबदल विरोधी कानून के तहत मनोनीत सांसद राज्य सभा में मनोनयन के छह महीने के भीतर किसी भी राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं. संधू 30 जनवरी को मनोनीत हुए थे इस तरह उनके पास किसी भी दल का सदस्य बनने के लिए 30 जुलाई तक का समय था. उन्होंने बीजेपी का दामन थामा है और इस तरह बीजेपी की राज्यसभा में ताकत 87 सीटों की हो गई है.
राज्यसभा में बीजेपी की ताकत
बता दें कि इससे पहले राज्यसभा में बीजेपी की सदस्य संख्या 86 पर आ गई थी. हालांकि अब सतनाम सिंह संधू के भाजपा में शामिल होने से यह संख्या 87 हो गई है. फिर भी राज्यसभा में पार्टी के सदस्यों की संख्या अभी भी 90 से नीचे ही है, जो कि बीजेपी के लिए चिंता का विषय है. इसी महीने केंद्र सरकार की तरफ से नामित चार सांसदों का कार्यकाल खत्म हो गया. इसके बाद राज्यसभा में बीजेपी सांसदों की संख्या घटकर 86 हो गई थी. वहीं NDA के पास भी ऊपरी सदन में 101 सांसदों की ताकत है, जो कि बहुमत से काफी कम है. ऐसे में बीजेपी का फोकस अब राज्यसभा में बहुमत जुटाने पर होगा.
कौन हैं सतनाम सिंह संधू
बता दें कि, राष्ट्रपति ने इसी साल चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के कुलपति और जाने-माने शिक्षाविद सतनाम सिंह संधू को राज्यसभा का मनोनीत सांसद नियुक्त किया था. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सदस्यता हासिल करने पर सतनाम सिंह संधू को बधाई दी थी. किसान के बेटे सतनाम सिंह संधू ने अपनी लगन के दम पर देश के टॉप एजुकेशनिस्ट की पहचान हासिल की है.
संघर्षों से भरा रहा बचपन
खेतिहर किसान संधू ने शिक्षा हासिल करने के लिए बचपन से बहुत संघर्ष किया. सतनाम सिंह संधू की पढ़ाई के लिए लगन ही थी जिसने उन्हें विश्वस्तरीय शैक्षिक संस्थान चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेज (CGC) की नींव रखी. साल 2001 में मोहाली के लांडरां में चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेज की नींव रखकर उन्होंने इसे विश्व स्तरीय शैक्षणिक संस्थान की ऊंचाई तक ले जाने को अपने जीवन का मिशन बनाया. फिर साल 2012 में चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के गठन के साथ एक कदम आगे बढ़ाया, जिसे क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग 2023 में एशिया में निजी विश्वविद्यालयों में अग्रणी के तौर पर जगह मिली.
छात्रों की करते हैं आर्थिक मदद
सतनाम सिंह संधू का बचपन काफी कठिनाइयों से भरा था. उन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए संघर्ष किया. अपने संघर्ष भरे बचपन के कारण ही वो जिंदगी में जैसे जैसे आगे बढ़े, एक कट्टर परोपकारी बनते गए. उनके बारे में कहा जाता है कि वो अक्सर छात्रों की आर्थिक मदद करते रहते हैं. वह जनता के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के सामुदायिक प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल हैं. वह देश में सांप्रदायिक सद्भाव को आगे बढ़ाने के लिए दो गैर सरकारी संगठन - इंडियन माइनॉरिटीज फाउंडेशन और न्यू इंडिया डेवलपमेंट (NID) फाउंडेशन चलाते हैं.
हिमांशु मिश्रा