यमन में मौत की सजा पाई केरल की नर्स निमिषा प्रिया के लिए मुस्लिम धर्म गुरु शेख अबू बकर कंथापुरम फिलहाल तो फरिश्ता बनकर आए हैं. भारत में ग्रैंड मुफ्ती के नाम से प्रसिद्ध शेख अबू बकर की पहल के बाद यमन की सरकार ने निमिषा प्रिया की मौत की सजा को टाल दिया है. निमिषा प्रिया को बुधवार (16 जुलाई) को मौत की सजा दी जानी थी.
34 साल की भारत की नर्स निमिषा इस समय हत्या के दोष में यमन की राजधानी सना की केंद्रीय जेल में बंद हैं. निमिषा पर अपने बिजनेस पार्टनर की हत्या करने और फिर शव के टुकड़े कर देने के आरोप हैं.
इस मामले में निमिषा प्रिया के परिवार वालों ने कई पहल की थी ताकि 'ब्लड मनी' देकर उसे बचाया जा सके. लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली थी.
इसके बाद इस मामले में मध्यस्थता के लिए सुन्नी मुस्लिम धर्म गुरु शेख अबू बकर कंथापुरम से अपील की गई.
सुन्नी धर्म गुरु शेख अबू बकर कंथापुरम ने कहा कि उन्होंने यमन के इस्लामिक विद्वानों से बात की. अबू बकर कंथापुरम ने मंगलवार को एएनआई से कहा, "इस्लाम में अलग तरह का कानून है. अगर हत्यारे को मौत की सजा सुनाई जाती है, तो पीड़ित के परिवार को माफी का हक है. मुझे नहीं पता कि यह परिवार कौन है, लेकिन मैंने दूर से ही यमन के जिम्मेदार विद्वानों से संपर्क किया. मैंने उन्हें मामले को समझाया. इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो मानवता को बहुत महत्व देता है. जब मैंने उनसे हस्तक्षेप करने और कार्रवाई करने का अनुरोध किया, तो विद्वानों ने मुलाकात की, चर्चा की और कहा कि वे जो कर सकते हैं, करेंगे. इसके बाद उन्होंने हमें आधिकारिक तौर पर सूचित किया है और एक दस्तावेज भेजा है जिसमें कहा गया है कि मौत की सजा की तारीख स्थगित कर दी गई है. अब इस बातचीत को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी."
अबू बकर कंथापुरम ने कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार को भी चर्चा और प्रक्रिया के बारे में सूचित कर दिया है. इसके अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय को भी एक पत्र भेजा है. हम सार्वजनिक मुद्दों में धर्म या जाति नहीं देखते. आप सभी यह जानते हैं.
अंतरधार्मिक संवाद के लिए चर्चा में रहने वाले 94 साल के अबू बकर कंथापुरम ने इस्लाम के वसूलों को समझाते हुए कहा कि इस्लाम में क़त्ल के बदले दीया (मुआवज़ा) देने का भी रिवाज़ है, मैंने उनसे दीया स्वीकार करने की गुजारिश की है क्योंकि यहां लोग इसके लिए तैयार हैं. अब इस पर बातचीत चल रही है कि मेरी गुजारिश वहां मानी गई है या नहीं.
उन्होंने कहा कि मौत की सजा की तारीख कल थी, लेकिन अब इसे कुछ दिनों के लिए टाल दिया गया है. हमने इंसानियत के नाते ये मांग की है. अगर ऐसी मांग मान ली जाती है तो भारत में मुसलमानों के लिए बहुत आसानी हो जाएगी. यहां मुसलमान और हिंदू दोनों एक ही मंच पर रहते हैं.
कौन हैं सुन्नी मुफ्ती अबू बकर कंथापुरम
इस्लामिक इंफोसेटर के अनुसार शेख अबू बकर अहमद, जिन्हें कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुस्लियार के नाम से भी जाना जाता है, भारत के दसवें और वर्तमान ग्रैंड मुफ्ती हैं. 22 मार्च 1931 को केरल के कोझिकोड में जन्मे वे एक प्रमुख सूफी विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. वे ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलमा के महासचिव और जामिया मरकज के चांसलर हैं.
उन्होंने 2014 में आईएसआईएस के खिलाफ पहला फतवा जारी किया और अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा दिया. उनकी शैक्षिक और कल्याणकारी पहल, जैसे मरकज नॉलेज सिटी, लाखों लोगों को लाभ पहुंचाती हैं.
शेख अबू बकर अहमद अंतरधार्मिक संवाद और सामुदायिक सद्भाव के एक समर्थक रहे हैं. वे समकालीन भारत में इस्लामी विचार और व्यवहार को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
शेख अबू बकर अहमद को सुन्नी इस्लाम विशेष रूप से सलाफी विचारधारा में एक अग्रणी व्यक्ति के रूप में व्यापक रूप से मान्यता प्राप्त है. वे भारत के ग्रैंड मुफ़्ती के रूप में कार्यरत हैं और देश भर के लाखों मुसलमानों को धार्मिक मार्गदर्शन और नेतृत्व प्रदान करते हैं. उनकी व्याख्याएं बहुलवादी समाज में संयम, सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर जोर देती हैं.
केरल के सीएम ने जताई उम्मीद
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने कहा कि यमन में मौत की सजा काट रही निमिषा प्रिया की मौत की सजा टलने की खबर राहत और उम्मीद जगाने वाली है. इससे निमिषा को अपनी सजा खत्म करवाने के लिए और समय मिल गया है. यह एपी अबू बकर मुसलियार की पहल और हस्तक्षेप से संभव हुआ है.
उन्होंने कहा कि यह फैसला मानवता और भाईचारे से भरे नेकदिल लोगों के अथक प्रयासों का परिणाम है. मैं कंथापुरम और एक्शन काउंसिल सहित उन सभी लोगों को बधाई देता हूं जो निमिषा प्रिया के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं.
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