एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय, दिल्ली सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार, हरियाणा सरकार, राजस्थान सरकार, दिल्ली पुलिस कमिश्नर, सेंट्रल पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड, दिल्ली पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड को नोटिस जारी किया है.
एनजीटी ने पूछा है कि 7 नवंबर से 30 नवंबर तक पटाखों को जनता के स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए बैन कर देना चाहिए या नहीं ? सभी पक्षों से एनजीटी ने 5 नवंबर से पहले कोर्ट में जवाब दायर करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 5 नवंबर को होगी.
एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि पिछले सालों में अभी पटाखों की बिक्री और इस्तेमाल को लेकर कई तरह की गाइडलाइंस जारी की गई थी और देखा गया था कि पटाखों के इस्तेमाल के बाद दिल्ली एनसीआर में एयर क्वालिटी और खराब हो गई.
कोर्ट ने कहा कि इस साल स्थितियां पहले से ही गंभीर हैं. ऐसे में पटाखों के इस्तेमाल से एयर क्वालिटी में और गिरावट आ सकती है. दिल्ली एनसीआर में अभी भी एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 से 450 के बीच में है जो कि खतरनाक कैटिगरी में आता है. ऐसे में पटाखों का इस्तेमाल प्रदूषण को और बढ़ाकर विस्फोटक स्थिति को पैदा कर सकता है.
एयर क्वालिटी और ज्यादा खराब कर सकता है
वरिष्ठ वकील राज पंजवानी और वकील शिबानी घोष को एनजीटी ने मामले में एमिकस नियुक्त किया है. एनजीटी में एक याचिका दायर की गई है, जिसमें कहा गया है कि दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के साथ त्याहारों में पटाखों का इस्तेमाल दिल्ली-एनसीआर में एयर क्वालिटी और ज्यादा खराब कर सकता है.
ऐसे में कोरोना बीमारी के संक्रमण का खतरा और बढ़ने की बात भी याचिका में कही गई थी. याचिका में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री के बयान का हवाला दिया गया था कि दिल्ली में त्योहारों में एयर पॉल्युशन की वजह से कोविड मरीजो की संख्या में बढ़ोतरी होगी.
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यहां तक कि ऐसे स्थिति में रोजाना दिल्ली में 15 हजार कोविड मरीजो की संख्या हो सकती है. ऐसे में इस आशंका को देखते हुए याचिका में एनजीटी से मांग की गई है कि पटाखों को चलाने पर 5 राज्यों में क्यों ना नवंबर महीने में पूरी तरह से रोक लगाई जाए.
पूनम शर्मा