न्यू ईयर ईव पर ऑनलाइन डिलीवरी पर संकट, जोमैटो और स्विगी समेत कई प्लेटफॉर्म के डिलीवरी पार्टनर हड़ताल पर

नए साल पर देशभर में डिलीवरी वर्कर्स ने हड़ताल का ऐलान किया है. यूनियन का दावा है कि एक लाख से अधिक वर्कर्स काम बंद या कम समय के लिए करेंगे. इससे लाखों ऑर्डर प्रभावित हो सकती हैं.

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गिग वर्कर्स की हड़ताल से लाखों ऑर्डर हो सकते हैं प्रभावित (Photo: ITG) गिग वर्कर्स की हड़ताल से लाखों ऑर्डर हो सकते हैं प्रभावित (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 31 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 12:35 AM IST

दुनियाभर में आज लोग नए साल का जश्न मनाने वाले हैं. पार्टियां होंगी, खाना-पिलाना होगा. भारत में लोग आज कल खाने या ग्रॉसरी के लिए फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स ऐप्स पर काफी निर्भर हैं. ऑनलाइन सामान ऑर्डर करने वालों के लिए बुरी ख़बर आई है. देशभर के डिलीवरी वर्कर्स ने 31 दिसंबर को एक राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है, जिसे साल के सबसे व्यस्त डिलीवरी दिनों में से एक माना जाता है. इसलिए आप दिल्ली में हो या मुंबई या हैदराबाद में आप पर इसका असर पड़ने वाला है.

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यह हड़ताल तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स के नेतृत्व में हो रही है. इसके साथ ही महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली एनसीआर, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के कई क्षेत्रीय यूनियन भी इस आंदोलन में शामिल हैं. यूनियन नेताओं का दावा है कि इस दिन एक लाख से अधिक डिलीवरी वर्कर्स ऐप से लॉग आउट रहेंगे या काम काफी कम समय के लिए करेंगे.

यह हड़ताल क्रिसमस डे की हड़ताल के कुछ ही दिनों बाद हो रही है. यूनियनों का मत है कि डिलीवरी की मांग तेजी से बढ़ रही है, लेकिन गिग वर्कर्स की कामकाजी स्थिति लगातार खराब होती जा रही है. कंपनियां न तो वेतन में सुधार कर रही हैं और न ही सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठा रही हैं.

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इस हड़ताल का असर दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, कोलकाता और छत्रपति संभाजीनगर जैसे बड़े शहरों में दिख सकता है, साथ ही टियर टू शहरों में भी डिलीवरी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. यूनियन का मानना है कि नए साल की पूर्व संध्या पर ऐसे कदम से कंपनियों पर दबाव बनेगा.

यह भी पढ़ें: कम कमाई, "कम कमाई, दिन-रात मेहनत: डिलीवरी पार्टनर्स की हड़ताल, ये है असली हाल

डिलीवरी वर्कर्स की मुख्य मांगों में ऐप आधारित एल्गोरिदम की ट्रांसपेरेंसी, अल्ट्रा फास्ट डिलीवरी का दबाव कम करना और सुरक्षित कार्य माहौल शामिल हैं. वे कहते हैं कि अनरियलिस्टिक 10 मिनट डिलीवरी मॉडल सड़क हादसों का खतरा बढ़ा रहा है. इसके अलावा, कम होती आय, अचानक आईडी ब्लॉक होना और समस्याओं को निपटाने वाला सिस्टम बेहद कमजोर होना.

यूनियन नेताओं का यह भी कहना है कि गिग वर्कर्स के लिए दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य कवर और पेंशन जैसी बुनियादी सामाजिक सुरक्षा जरूरी है. फिलहाल, प्लेटफॉर्म कंपनियों की ओर से इस हड़ताल पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. इसलिए नए साल के मौके पर इस समस्या को ध्यान में रखते हुए तैयारी करना समझदारी होगी.

यह ख़बर पहले इंडिया टुडे पर प्रकाशित की गई थी. आप यहां उसका हिंदी संस्करण पढ़ रहे थे. इस ख़बर को दिव्या भाटी ने लिखा है, जो इंडिया टुडे में सीनियर सब-एडिटर के पद पर कार्यरत हैं.

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