खौफ इतना कि मौलवी को देख बंद कर लेते हैं आंखें, अवैध अनाथालय में 'तालिबानी जिंदगी' जी रहे बच्चे...कर्नाटक सरकार पर भड़का बाल आयोग

Bengaluru News: राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि बेंगलुुरु के सैय्यादिया यतीमखाने में करीब 200 अनाथ बच्चों को रखा गया है. किसी भी बच्चे को स्कूल नहीं भेजा जाता है. कोई खेल का सामान नहीं है. बच्चे TV भी नहीं देखते. छोटे-छोटे बच्चे बेहद मासूम हैं और इतने डरे हुए कि मौलवी को आता देख सारे के सारे स्थिर होकर आंख बंद कर लेते हैं.

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बेंगलुरु में मदरसे का जायजा लेने पहुंचे प्रियंक कानूनगो. बेंगलुरु में मदरसे का जायजा लेने पहुंचे प्रियंक कानूनगो.

सगाय राज

  • बेंगलुरु ,
  • 20 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक यतीमखाने यानी अनाथालय का औचक जायजा लिया. इस दौरान वहां तमाम अनियमितताएं पाई गईं. इसको लेकर आयोग के अध्यक्ष कर्नाटक सरकार को कटघरे में खड़ा किया है और राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया है. 

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर बेंगलुरु के सैय्यादिया यतीमखाने के मुआयने का एक वीडियो जारी किया है. इसके साथ ही लिखा, ''बेंगलुरु, कर्नाटक में दारूल उलूम सैय्यादिया यतीमखाना नाम से अवैध ढंग से चलते हुए एक ग़ैर-पंजीकृत अनाथ आश्रम का औचक निरीक्षण किया, जिसमें कई अनियमितताएं पाई गईं. 

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यहां करीब 200 यतीम (अनाथ) बच्चों को रखा गया है. 100 वर्गफीट के कमरे में 8 बच्चों का रखा जाता है. ऐसे 5 कमरों में 40 बच्चे रहते हैं और कॉरिडोर में 16 बच्चे रहते हैं. बाकी 150 बच्चे मस्जिद के नमाज़ पढ़ने वाले 2 अलग-अलग हॉल में ही रात को सोते हैं. सभी 200 बच्चे दिन भर इन्हीं नमाज़ वाले हॉल में मदरसा की इस्लामिक दीनी तालीम पढ़ते हैं.

किसी भी बच्चे को स्कूल नहीं भेजा जाता है. कोई खेल का सामान नहीं है. बच्चे TV भी नहीं देखते. छोटे-छोटे बच्चे बेहद मासूम हैं और इतने डरे हुए कि मौलवी को आता देख सारे के सारे स्थिर होकर आंख बंद कर लेते हैं. सवेरे 3:30 पर जाग कर मदरसा की पढ़ाई में लग जाते हैं और दोपहर में सोते हैं. शाम से रात तक फिर तालीम होती है. दिन में नमाज़ के लिए छोटे ब्रेक होते हैं.

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खाने, आराम करने, मनोरंजन इत्यादि के लिए कोई और जगह नहीं है. मस्जिद में ही रहना होता है. जबकि पता चला है कि करोड़ों की वफ़्फ़ की सम्पत्ति  वाले इस यतीम खाने की बिल्डिंग अलग है. जिसमें स्कूल चल रहा है, पर उसमें इन बच्चों को जाने की इजाज़त नहीं है.

ये बच्चे मध्ययुगीन तालिबानी जीवन जी रहे हैं. संविधान में इनके लिए ये जीवन नहीं लिखा है. ये कर्नाटक सरकार की लापरवाही है. संविधान का  उल्लंघन है. राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग संज्ञान ले रहा है. राज्य के चीफ़ सेक्रेटरी को नोटिस जारी कर रहे हैं.'' 

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