मतुआ समुदाय के प्रभावशाली नेता, बनगांव में BJP को दिलाई थी पहली बार जीत... कौन हैं शांतनु ठाकुर जो बने मोदी 3.0 में मंत्री

तीसरी बार केंद्र में बनी एनडीए सरकार में पश्चिम बंगाल की बनगांव सीट के सांसद शांतनु ठाकुर को भी मंत्री बनाया गया है. उन्हें बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है. शांतनु ठाकुर बंगाल के मतुआ समुदाय के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं. बनगांव से चुनाव जीतने वाले वो पहले बीजेपी नेता हैं.

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शांतनु ठाकुर. शांतनु ठाकुर.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 जून 2024,
  • अपडेटेड 8:43 AM IST

नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बन गए हैं. उन्होंने रविवार को राष्ट्रपति भवन में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली. मोदी 3.0 में 72 मंत्री बनाए गए हैं. एनडीए की इस सरकार में पश्चिम बंगाल से दो सांसदों को मंत्री बनाया गया है. उन्हें बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई है. इनमें से एक शांतनु ठाकुर हैं, जो मोदी 2.0 में भी मंत्री रह चुके हैं. शांतनु ठाकर मोदी 3.0 में राज्य मंत्री रहेंगे.

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41 साल के शांतनु ठाकुर पश्चिम बंगाल की बनगांव सीट से सांसद हैं. 2019 में वो पहली बार सांसद बने थे. 2024 में वो टीएमसी के बिश्वजीत दास को 73,693 वोटों से हराकर दूसरी बार बनगांव से सांसद चुने गए हैं.

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में उन्हें 7 जुलाई 2021 को बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया था.

शांतनु ठाकुर टीएमसी नेता रहे मंजुल कृष्ण ठाकुर के बड़े बेटे हैं. ठाकुर परिवार में जन्मे शांतनु ठाकुर मतुआ और नामशूद्र समुदाय के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं. पश्चिम बंगाल में मतुआ और नामशूद्र समुदाय की बड़ी आबादी है, जो अनुसूचित जाति में आती है. नामशूद्र की आबादी करीब तीन करोड़ और मतुआ की ढाई करोड़ है. नामशूद्र और मतुआ समुदाय पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों के बाद दूसरा सबसे अधिक राजनीतिक प्रभाव वाला समुदाय है.

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मतुआ और नामशूद्र की बड़ी आबादी बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल में आई है. इन लोगों को अब तक नागरिकता नहीं मिल सकी है. यही वजह है कि शांतनु ठाकुर खुलकर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) की वकालत करते हैं. 

शांतनु ठाकुर का जन्म 2 अगस्त 1982 को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में हुआ था. उन्होंने 2010 में ऑस्ट्रेलिया से हॉस्पिटैलिटी मैनेजमेंट में डिप्लोमा किया था. इससे पहले 2005 में कलकत्ता यूनिवर्सिटी से बीए की डिग्री हासिल की थी. 2015 में उन्होंने कर्नाटक की स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी से बीए किया था. 

चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे में उन्होंने अपने पास 3 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति होने की बात बताई थी. उनके पास 3.34 करोड़ की संपत्ति है. उनके ऊपर 23 क्रिमिनल केस दर्ज हैं.

2009 में परिसीमन के बाद बनी बनगांव सीट से चुनाव जीतने वाले शांतनु ठाकुर पहले गैर-टीएमसी नेता हैं. 2009 के चुनाव में यहां से टीएमसी नेता गोबिंद्र चंद्र नस्कर जीते थे. 2014 में कपिल कृष्ण यहां से जीते थे. उसी साल उनका निधन हो गया था, जिसके बाद उपचुनाव में टीएमसी नेता ममताबाला ठाकुर यहां से जीती थीं. 2019 के चुनाव में शांतनु ठाकुर ने ममताबाला ठाकुर को 1.30 लाख वोटों के अंतर से हराया था.

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