Nagaland Killings: हर तरफ से गोलियां बरस रही थीं... नगालैंड फायरिंग की आंखों देखी

22 वर्षीय Sheiwang ने उस दिन की घटना के बारे में विस्तार से बताया है. उनके मुताबिक उस समय मौके पर तीन बम धमाकों की आवाज आई थी और उसी के बाद ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई.

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नागालैंड फायरिंग में 14 लोगों ने गंवाई जान नागालैंड फायरिंग में 14 लोगों ने गंवाई जान

श्रेया चटर्जी

  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST
  • नागालैंड फायरिंग में 14 नागरिकों ने गंवाई जान
  • घायल शख्स ने बताई घटना की पूरी आंखों-देखी

नागालैंड के मोन (Nagaland killings) जिले में 14 आम नागरिकों ने सुरक्षाबलों की फायरिंग में अपनी जान गंवा दी. सुरक्षाबलों ने उन्हें उग्रवादी समझ फायरिंग की, जिसके बाद ये मामला इतना बड़ा हो गया. जिस समय ताबड़तोड़ फायरिंग की जा रही थी, तब मौके पर कई लोग मौजूद थे. कई ऐसे भी रहे जिनके सामने ही अपनों ने दम तोड़ दिया. ऐसे ही एक शख्स से आजतक ने बातचीत की है.

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22 वर्षीय Sheiwang ने उस दिन की घटना के बारे में विस्तार से बताया है. उनके मुताबिक उस समय मौके पर तीन बम धमाकों की आवाज आई थी और उसी के बाद ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई. वे कहते हैं कि हमने गोलीबारी की आवाज सुनी थी, तीन बम धमाकों की आवाज भी आई थी. लेकिन फिर हर तरफ से गोलियां बरसने लगीं. हम किसी को देख नहीं पाए, लेकिन फायरिंग होती रही. 

वे आगे कहते हैं कि खुद को बचाने के लिए हम सभी गाड़ी के फ्लोर पर छिप गए. आर्मी ने हमारी गाड़ी को एक बार भी नहीं रोका था. ऐसा कोई सिग्नल भी नहीं था कि कुछ होने वाला है. मेरे सामने ही कई लोग गिर गए थे, कई ने अपनी जान गंवा दी. पीड़ित के मुताबिक उसे भी हाथ पर गोली लगी थी जिस वजह से वो बेहोश हो गए. उनकी माने तो उन्हें बाद में किसी दूसरी गाड़ी में बैठा दिया गया था.

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वैसे अब सुरक्षाबल भी अपनी चूक मान चुके हैं. वो इसे इंटेलिजेंस फेलियर बता रहे हैं. उन्हें जो इनपुट दिया गया था वो गलत साबित हुआ. उनकी तरफ से कार्रवाई नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के उग्रवादियों के खिलाफ होनी थी, लेकिन गोलीबारी में आम नागरिकों ने अपनी जान गंवा दी.

ये घटना 4 दिसंबर को हुई थी, जिसके बाद अगले दिन भी जानलेवा संघर्ष देखा गया. इस घटना के बाद से ही नगालैंड से AFSPA हटाने की मांग हो रही है. सीएम से लेकर विपक्ष के कई नेता अब AFSPA हटाने के पक्ष में आ गए हैं. सभी मान रहे हैं कि अगर AFSPA नहीं होता तो इतनी बड़ी कार्रवाई को ऐसे अंजाम नहीं दिया जाता.

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