मणिपुर में नहीं थम रही गोलीबारी की घटना, अब खेत में काम करने वाले बुजुर्ग किसान को लगी गोली, इलाके में तनाव

मणिपुर के बिष्णुपुर जिले के फुबाला गांव में गुरुवार को एक बुज़ुर्ग किसान पर गोलीबारी की घटना ने फिर से तनाव बढ़ा दिया है. सीमा से सटे खेतों में काम करते समय किसान को गोली लगी. गांववालों ने स्थानीय बंद की अपील की है और सरकार से अधिक सुरक्षा की मांग की है.

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मणिपुर में फिर से तनाव मणिपुर में फिर से तनाव

बेबी शिरीन

  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2025,
  • अपडेटेड 4:23 AM IST

मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में गुरुवार को हुई गोलीबारी की घटना ने एक बार फिर संवेदनशील फुबाला गांव में तनाव बढ़ा दिया है. यह गांव चुराचांदपुर जिले की पहाड़ियों से सटा हुआ है और खेती पर निर्भर ग्रामीणों के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र माना जाता है.

गुरुवार दोपहर, एक बुजुर्ग किसान निंगथौजम बीरेन को खेत में काम करते समय गोली लग गई. बीरेन को उनके बाएं हाथ में गोली लगी, जिसके बाद उन्हें तुरंत बिष्णुपुर जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है.

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“पांच गोलियों की आवाज आई, एक मुझे लगी”

अस्पताल में भर्ती बीरेन ने बताया, “मैं खेत में काम कर रहा था, तभी पांच गोलियों की आवाज सुनाई दी. हम यह भी नहीं देख पाए कि गोली किसने चलाई. एक गोली मेरे हाथ में लगी.”

पुलिस ने घटना की पुष्टि की है और बताया कि इलाके में तुरंत सुरक्षा बल भेजे गए. हमले की जांच शुरू हो गई है और हमलावरों की पहचान कर उन्हें पकड़ने का प्रयास किया जा रहा है. घटना के बाद गांव में अतिरिक्त राज्य और केंद्रीय बल तैनात किए गए हैं ताकि स्थिति को नियंत्रण में रखा जा सके.

ग्रामीणों का गुस्सा, फुबाला में स्थानीय बंद का ऐलान

हमले के विरोध में फुबाला के ग्रामीणों ने स्थानीय बंद का ऐलान कर दिया है. ग्रामीणों ने इस हमले को “बिना उकसावे की हिंसा” बताते हुए सीमा क्षेत्रों में किसानों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की है. 

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मणिपुर में जारी है जातीय तनाव

यह हमला ऐसे समय पर हुआ है जब मणिपुर में पहले से ही जातीय तनाव का माहौल बना हुआ है. 3 मई 2023 को कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हिंसक झड़पों के बाद से राज्य में लगातार अशांति बनी हुई है.

गौरतलब है कि यह घटना 15 जून को इम्फाल ईस्ट के लेइतानपोक्पी गांव में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच हुई झड़प के महज तीन दिन बाद सामने आई है. वह झड़प साडू लामपाक इलाके के खेतों के उपयोग को लेकर हुई थी, जो पहले विस्थापित मैतेई गांव वालों द्वारा इस्तेमाल किया जाता था. फिलहाल, प्रशासन अलर्ट मोड पर है और शांति बनाए रखने के लिए निगरानी बढ़ा दी गई है.

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