मणिपुर में लागू हो NRC, विधानसभा ने पारित किया प्रस्ताव, अवैध डेरा डालने वालों को बाहर करने की मांग

मणिपुर विधानसभा ने एक बार फिर प्रस्ताव पारित कर राज्य में एनआरसी लागू करने की मांग की है. 2022 में भी विधानसभा से एक प्रस्ताव पास किया गया था और बताया गया था कि राज्य की आबादी कैसे तेजी से बढ़ रही है. म्यांमार में तख्तापलट के बाद कथित रूप से हालात और बिगड़े हैं.

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मणिपुर में NRC लागू करने की मांग मणिपुर में NRC लागू करने की मांग

aajtak.in

  • इंफाल,
  • 01 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 10:04 PM IST

मणिपुर विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर एक बार फिर केंद्र सरकार से राज्य में एनआरसी लागू करने की मांग की है. राज्य विधानसभा ने 2022 में भी इस तरह का प्रस्ताव पास किया था. राज्य सरकार का कहना है कि पहाड़ी इलाके में बेतहाशा आबादी बढ़ रही है. घाटियों की आबादी भी तेजी से बढ़ी है, और इसलिए राज्य में एनआरसी का लागू करना जरूरी है.

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मणिपुर सरकार ने 2022 के अपने प्रस्ताव में दावा किया था कि राज्य में 1971 और 2001 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर 153 फीसदी से ज्यादा रही थी, जबकि 2001 से 2011 के बीच वृद्धि दर करीब 251 फीसदी रही थी. जनता दल यूनाइटेड के विधायक केएच जॉयकिशन के पिछले प्रस्ताव के मुताबिक, घाटियों में 1971-2001 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर करीब 95 फीसदी और 2001-2011 के बीच 125 फीसदी दर्ज की गई.

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म्यांमार से अवैध रूप से घुसपैठ कर रहे लोग

मणिपुर भारत का एक सीमाई राज्य है और इसकी सीमा म्यांमार से लगती है. कहा जाता है कि पड़ोस के देश से आए दिन घुसपैठ होता है. हाल के वर्षों में कथित रूप से इसमें इजाफा भी देखा गया है. ऐसी कई खबरें भी सामने आई हैं कि लोग म्यांमार के सैन्य शासन का दंश झेलकर मणिपुर में घुसपैठ कर रहे हैं. म्यांमार में तख्तापलट के बाद पड़ोस के कई सैनिक और आम लोग अपनी जान बचाकर भारत के मणिपुर में प्रवेश कर गए थे.

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अवैध रूप से रहने वाले लोगों की होगी पहचान

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने पिछले महीने कहा था कि 1961 के बाद से जो लोग मणिपुर में अवैध रूप से आए लोगों को प्रत्यर्पित किया जाएगा. पिछले साल मई में उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर में हिंसा भड़क गई थी. इसमें दर्जनों लोग मारे गए. राज्य सरकार का दावा है कि पड़ोसी म्यांमार से आने वाले कुछ लोगों ने समस्याएं पैदा की है.

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1961 के बाद वाले लोगों को किया जाए देश से बाहर

मणिपुर विधानसभा द्वारा पारित 2022 के प्रस्ताव में 1961 को बेस-यर के रूप में माना था और कहा गया था कि इसके बाद आने वाले लोगों की पहचान कर उन्हें वापस भेजने की योजना बनाई थी. कहा गया था कि ऐसा करने पर ही इनर लाइन परमिट (IPP) को ठीक ढंग से लागू किया जा सकेगा. हालांकि, एक्सपर्ट मानते हैं कि इसमें भी समस्या आ सकती है और लोगों की पहचान करना मुश्किल हो सकता है.

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