शनिवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विरोध-प्रदर्शन कर रहे जूनियर डॉक्टरों के बीच एक बार फिर से मीटिंग नहीं हो सकी. शनिवार को दोनों पक्ष कुछ मिनट के लिए मिले तो जरूर लेकिन ये मुलाकात बैठक में तब्दील नहीं हो सकी. डॉक्टर अपनी मांग पर अड़े रहे कि मीटिंग का लाइव प्रसारण हो. इस हफ्ते यह दूसरी बार था कि मीटिंग नहीं हो सकी क्योंकि ममता बनर्जी ने लाइवस्ट्रीमिंग पर अपनी असमर्थता जताई थी.
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों के साथ बातचीत में हो रही देरी से नाराज़ ममता बनर्जी ने बारिश में उनके घर के बाहर खड़े डॉक्टरों से कहा, "आज आपने कहा कि आप मुझसे मिलना चाहते हैं. मैंने सहमति दी और मैं इंतजार कर रही हूं. कृपया मेरा इस तरह अपमान न करें. इससे पहले मैंने दो घंटे तक आपका इंतजार किया था, लेकिन आप नहीं आए." मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों से कहा कि अगर वे मिलने के लिए तैयार नहीं हैं तो कम से कम घर के अंदर आकर चाय पी लें.
सीएम ने कहा कि, "हम सभी - मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और गृह सचिव, आप सभी का इंतजार कर रहे हैं. हमने आपको छाते दिए हैं ताकि आप बारिश में भीग न जाएं. हमने आपके बैठने की व्यवस्था भी की है. कृपया अंदर आइए और अगर आप मुझसे बात नहीं करना चाहते हैं तो कम से कम चाय पी लीजिए," जब डॉक्टर अपनी बैठक रिकॉर्ड करने की मांग पर अड़े रहे, तो मुख्यमंत्री ने बताया कि आज भेजे गए पत्र में ऐसा कोई जिक्र नहीं था और कहा कि मामला कोर्ट में है. उन्होंने कहा कि, "किसी भी पत्र में यह नहीं लिखा गया था कि आप मीटिंग का लाइव प्रसारण चाहते थे. लेकिन मैं आपको आश्वासन देती हूं कि मैं सब कुछ रिकॉर्ड कराऊंगी और आपको उसकी एक कॉपी दूंगी. मैं यह सुनिश्चित करूंगी कि सुप्रीम कोर्ट की अनुमति मिलने तक वीडियो जारी नहीं किया जाएगा," उन्होंने कहा.
मुख्यमंत्री ने अपने घर में सुरक्षा और जगह की कमी का हवाला देते हुए कहा कि रिकॉर्डिंग और ज्यादा डॉक्टरों को अंदर बुलाना संभव नहीं है. "यहां पंद्रह लोगों को आना था लेकिन 40 लोग आ गए हैं. क्या किसी के घर में 40 लोगों को समायोजित किया जा सकता है? फिर भी, मैंने आपके लिए सभी इंतजाम किए हैं. मैं आपसे निवेदन करती हूं कि अंदर आइए. अगर आप बैठक नहीं करना चाहते, तो कम से कम चाय तो पी लीजिए," ममता बनर्जी ने कहा.
इससे पहले दिन में, ममता बनर्जी ने सॉल्ट लेक इलाके में स्थित पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य मुख्यालय स्वास्थ भवन में डॉक्टरों के विरोध स्थल का अचानक दौरा किया और उनसे जल्द ड्यूटी पर लौटने का अनुरोध किया. उन्होंने उनकी मांगों पर ध्यान देने का वादा किया और कहा कि यह संकट को सुलझाने का उनका "अंतिम प्रयास" है. उन्होंने यह भी कहा कि वह डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगी और इस दौरान यह भी कहा कि, "बंगाल उत्तर प्रदेश जैसा नहीं है."
इस बारे में प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों की ओर बताया गया कि, 'कालीघाट में एक आधिकारिक संवाद के लिए हमें बुलाया गया था. जब हम वहां पहुंचे, हमने यहां तक कि इस मांग में भी समझौता किया कि बैठक का लाइव प्रसारण हो. हमने कहा कि बस बैठक को रिकॉर्ड कर लीजिए और बैठक समाप्त होने के बाद हमें वह रिकॉर्डिंग दे दीजिए, लेकिन अधिकारियों ने इसे मानने से इनकार कर दिया. मुख्यमंत्री बाहर आईं और हमसे चाय पीने का अनुरोध किया, लेकिन जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हम तभी चाय पीएंगे जब हमें न्याय मिलेगा.
बाद में हमने रिकॉर्डिंग की मांग भी छोड़ दी और बस बैठक की कार्यवाही की जानकारी (मिनट्स) मांगी, लेकिन हमें बताया गया कि देर हो चुकी है और अब कुछ नहीं किया जा सकता. हम बारिश में इंतजार करते रहे, लेकिन किसी समाधान के बिना लौटना पड़ा. सभी जूनियर डॉक्टर निराश थे. डॉक्टरों ने कहा कि, 'आज संदीप घोष की गिरफ्तारी ने साबित कर दिया है कि हमारी मांग सही थी. संदीप घोष ने जो किया है वह एक संस्थागत अपराध है. ऐसे कई प्राचार्य और अधिकारी इसमें शामिल हो सकते हैं. हम चाहते हैं कि इसमें शामिल सभी लोग इस्तीफा दें. हम तब तक विरोध जारी रखेंगे जब तक न्याय नहीं मिलता. हम अभया के लिए यहां हैं और न्याय की मांग करते रहेंगे.'
सूर्याग्नि रॉय