TMC सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने के मामले में लोकसभा महासचिव ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. इसमें महुआ मोइत्रा की याचिका का विरोध किया गया है. लोकसभा महासचिव ने कहा कि निष्कासन के खिलाफ महुआ की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. इसमें कहा गया है कि याचिका भारत के संविधान की योजना के तहत स्वीकार्य विधायी कार्रवाई की न्यायिक समीक्षा की सीमा को पूरा नहीं करती है. याचिका में कहा गया है कि महुआ मोइत्रा की सुप्रीम कोर्ट में याचिका न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर है. लोकसभा सचिवालय ने कहा है कि महुआ की याचिका पूरी तरह से गलत, समय से पहले और किसी भी योग्यता से रहित है और सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र के दायरे से बाहर है.
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लोकसभा महासचिव ने दिए ये तर्क
लोकसभा महासचिव ने कहा कि महुआ की याचिका न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर है और सुनवाई योग्य नहीं है. महुआ की याचिका किसी भी ऐसी कार्रवाई पर विचार नहीं करती है जो ठोस या घोर अवैधता या असंवैधानिकता के बराबर हो. जिन मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है, उनमें से किसी का भी उल्लंघन नहीं किया गया है.
लोकसभा महासचिव की ओर से याचिका में कहा गया है कि आंतरिक प्रक्रिया का पालन करने के बाद संविधान के तहत एक संप्रभु निकाय के रूप में संसद द्वारा लिए गए निर्णय को आनुपातिकता के सिद्धांत के आधार पर परीक्षण नहीं किया जा सकता है. ऐसी कोई भी कवायद शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत के विपरीत होगी, जो भारत के संविधान की मूल विशेषता है. सभी प्रक्रियाओं का विधिवत पालन किया गया है. संविधान का अनुच्छेद 122 जो प्रावधान करता है कि प्रक्रिया की किसी भी कथित अनियमितता के आधार पर संसद में कार्यवाही की वैधता पर सवाल नहीं उठाया जाएगा.
इसमें कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद माना है कि संसद के फैसले की तथ्यों के आधार पर दोबारा जांच नहीं की जा सकती कि लगाए गए आरोप के लिए संबंधित सदस्य को निष्कासित करना उचित था या नहीं. कुल मिलाकर लोकसभा सचिवालय ने अपने निष्कासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में महुआ मोइत्रा की याचिका का विरोध किया है.
महासचिव की ओर से याचिया में कहा गया है कि केवल सदस्यों को उपलब्ध ऐसी गोपनीय जानकारी तक पहुंच प्रदान करना प्रक्रिया के नियमों का घोर उल्लंघन है. यह कदाचार के समान है.
इसमें कहा गया है कि जब भी हीरानंदानी गोपनीय पोर्टल तक पहुंचना चाहते थे तो मोइत्रा ने ओटीपी भी शेयर किया था. इससे पता चलता है कि उन्होंने जानबूझकर एक अनधिकृत तीसरे पक्ष को विशेषाधिकार प्राप्त एमपी पोर्टल तक अवैध, अनुचित और अनुचित पहुंच की अनुमति दी थी. ये राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ संसदीय कामकाज की गरिमा और स्वतंत्रता की वैध चिंताएं हैं. लोकसभा सचिवालय को किसी भी राजनीतिक दल के आंतरिक मामलों से कोई सरोकार नहीं है.
महुआ की याचिका पर SC मई में करेगा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस(टीएमसी) की नेता महुआ मोइत्रा की उस याचिका पर मई में सुनवाई करेगा जिसमें उन्होंने लोकसभा से अपने निष्कासन को चुनौती दी है. उनकी याचिका न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आयी. मोइत्रा की ओर से पेश वकील ने कहा कि उनका इस मामले में लोकसभा महासचिव द्वारा दाखिल जवाबी हलफनामे पर प्रत्युत्तर दाखिल करने का इरादा नहीं है.
सृष्टि ओझा