आखिर 2024 के चुनाव में कांग्रेस क्यों नहीं लगा पाई शतक, एक सीट से पिछड़ने की ये है बड़ी वजह

लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस पार्टी ने अपने दम पर 99 सीटें जीती हैं, जो पहले के दो चुनावों के मुकाबले पार्टी का अच्छा प्रदर्शन माना जा सकता है. इस चुनावी जीत ने कांग्रेस पार्टी को अपना अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में एक बड़ा पुश दिया है, जहां पार्टी को आगे अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए एक ठोस रणनीति पर काम करने की जरूरत होगी.

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मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी (फाइल फोटोः पीटीआई) मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी (फाइल फोटोः पीटीआई)

राहुल गौतम

  • नई दिल्ली,
  • 05 जून 2024,
  • अपडेटेड 5:49 PM IST

2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी के परफोर्मेंस की खासा चर्चा है, जो लगातार दो बार से अपना अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में थी. इस बार के चुनाव में पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया है और 52 सीटों से 99 सीटों पर पहुंच गई है. हालांकि, साइकोलॉजिकल रूप से अपना शतक पूरा नहीं कर सकी. पार्टी की अगुवाई वाले INDIA गठबंधन ने दोहरे शतक से ज्यादा अंक हासिल किए, लेकिन फिर भी वे बहुमत से दूर हैं. आइए जानते हैं कि आखिर कांग्रेस अपना शतक लगाने से कैसे चूक गई?

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कई पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर कांग्रेस अपने दम पर 120-130 सीटें जीतती, तो पार्टी केंद्र में गैर-एनडीए सरकार बनाने में अहम भूमिका अदा कर सकती थी. हालांकि, तीन प्रमुख राज्यों - मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात में कांग्रेस का प्रदर्शन इस लक्ष्य को हासिल करने में एक बड़ी बाधा साबित हुई है, जहां लोकसभा की 64 सीटें हैं. इन राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर थी, जहां पार्टी महज दो सीट ही जीत सकी. इनमें एक गुजरात और एक सीट पार्टी ने छत्तीसगढ़ में जीती.

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हिमाचल, कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस का प्रदर्शन

अपना अस्तित्व कायम रखने के लिए कांग्रेस पार्टी को अहम राज्यों में और अच्छा प्रदर्शन करने की जरूरत थी, जहां पार्टी पहले मजबूत स्थिति में हुआ करती थी. हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में सरकार होने के बावजूद, कांग्रेस अपने सीटों की संख्या बढ़ाने में विफल रही या यूं कहें कि पार्टी इसका ठीक-ठीक लाभ नहीं उठा सकी.

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हिमाचल प्रदेश को लेकर उम्मीद थी कि कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन कर सकती है लेकिन इसके बावजूद बीजेपी ने राज्य में क्लीन स्वीप किया. कर्नाटक और तेलंगाना जैसे राज्यों में सरकार होने के बावजूद पार्टी राज्य में मौजूद लोकसभा की कुल सीटों में आधी भी नहीं जीत सकी, लेकिन यहां पार्टी ठीक-ठीक सीटें हासिल करने में कामयाब रही. 

माना जाता है कि पार्टी की अंदरूनी कलह और बीजेपी के प्रभावशील प्रचार ने राज्य में कांग्रेस की जीत को छोटा कर दिया. इस बीच तेलंगना में ठोस कोशिशों के बावजूद कांग्रेस पार्टी मतदाताओं के साथ अपना तालमेल जमाने में नाकाम रही, जहां मतदाता नरेंद्र मोदी की अपील के साथ जुड़े नजर आए. मसलन, पार्टी को मतदाताओं के बीच अपना संदेश ठोस रूप से पहुंचाने के लिए और जद्दोजहद करने की जरूरत होगी.

कांग्रेस को रिवाइवल की मिली आस

हालिया लोकसभा चुनाव में 52 से 99 सीटों पर पहुंचने में कामयाब हुई कांग्रेस के लिए पहले के मुकाबले यह अच्छा प्रदर्शन जरूर कहा जा सकता है, जो पार्टी को रिवाइवल के लिए एक आधार मुहैया कराती है. पार्टी नेताओं ने अपनी स्थिति को और मजबूत करने के लिए आत्मनिरीक्षण और पुनर्गठन के प्रति अपनी उम्मीदें जाहिर की हैं.

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राहुल गांधी ने भी परिणामों को स्वीकार करते हुए कहा, "हम अपनी सीटों में बढ़ोतरी से उत्साहित हैं, लेकिन हम इस बात से पूरी तरह वाकिफ हैं कि हमें अभी बहुत काम करना है. हम सभी राज्यों में लोगों का विश्वास और समर्थन हासिल करने की कोशिश जारी रखेंगे."

2024 आम चुनाव के नतीजे से पता चलता है कि कांग्रेस अपना पिछला प्रभुत्व कायम करने से बहुत दूर है, जहां सीटों में बढ़ोतरी ने पार्टी नेताओं को उत्साहित जरूर किया है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और गुजरात जैसे प्रमुख राज्यों में पार्टी की गैरमौजूदगी पार्टी के लिए आगे चुनौती बन सकती है. अभी के लिए कांग्रेस अपनी प्रगति का जश्न मना सकती है लेकिन पार्टी को अपनी इसी गति को बनाए रखने के लिए और ठोस रणनीति बनाने की जरूरत होगी.

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