छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: राज्य को हुआ 248 करोड़ रुपये का नुकसान, ED की चार्जशीट में खुलासा

छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की परतें लगातार खुल रही हैं. ईडी की ताज़ा चार्जशीट ने खुलासा किया है कि किस तरह एक संगठित सिंडिकेट ने आबकारी विभाग की मिलीभगत से राज्य को करोड़ों का चूना लगाया. फर्जी लाइसेंस, जबरन कमीशन और कार्टेल सिस्टम के जरिए विदेशी कंपनियों से वसूली की गई. इस खेल ने सरकार के खज़ाने को भारी नुकसान पहुंचाया और नेताओं-कारोबारियों की जेबें भरीं.

Advertisement
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की चार्जशीट ने खोले कई राज (Representational Image) छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की चार्जशीट ने खोले कई राज (Representational Image)

सुमी राजाप्पन

  • रायपुर ,
  • 26 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 9:44 PM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले मामले में स्पेशल कोर्ट, रायपुर में छठी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की है. जांच में सामने आया है कि एक ताकतवर शराब सिंडिकेट ने वरिष्ठ आबकारी अधिकारियों और कारोबारियों की मदद से लाइसेंस और बिक्री में धांधली की. विदेशी शराब कंपनियों को कमीशन देने के लिए इन्हें जबरन कार्टेल व्यवस्था में शामिल किया गया.

Advertisement

ईडी की जांच में पता चला है कि तीन कंपनियों को अवैध तरीके से लाइसेंस जारी किए गए. इनमें Nexogen Power Infratech Pvt. Ltd. जो संजय मिश्रा और उनके सहयोगियों से जुड़ी है और Dishita Ventures Pvt. Ltd. शामिल हैं, जिसे शराब कारोबारी आशीष सोनी केडिया से जोड़ा गया है.

इन कंपनियों ने अवैध मुनाफा कमाया. केवल संजय मिश्रा की कंपनी ने तीन साल में करीब 11 करोड़ रुपये की कमाई की. इस पूरे घोटाले से राज्य सरकार को लगभग 248 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. ईडी की चार्जशीट में कई बड़े नाम सामने आए हैं, जिनमें विजय कुमार भाटिया और अन्य सिंडिकेट सदस्य शामिल हैं. घोटाले से जुड़े कई आरोपीसंजय मिश्रा, मनीष मिश्रा और अभिषेक सिंह पहले ही गिरफ्तार होकर जेल में हैं. एजेंसी का कहना है कि बाकी लाइसेंस धारकों और जुड़े लोगों के खिलाफ भी जल्द आगे की कार्रवाई और अभियोजन जारी रहेगा.

Advertisement

ईडी की जांच में सामने आया है कि शराब घोटाले के जरिए न सिर्फ सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया, बल्कि लाइसेंस और कमीशन की बंदरबांट कर कारोबारी हित साधे गए. अधिकारियों और कारोबारी गठजोड़ के कारण विदेशी शराब कंपनियों पर दबाव बनाया गया कि वे अपना माल बेचने के लिए तय कमीशन दें.

जांच एजेंसी का कहना है कि यह पूरा नेटवर्क बेहद सुनियोजित तरीके से चलाया जा रहा था और इससे मिली रकम को कई कंपनियों और फ्रंट फर्म्स के जरिए घुमाया जाता था. ईडी ने साफ किया है कि इस घोटाले की जांच अभी जारी है और इसमें और बड़े खुलासे हो सकते हैं.

---- समाप्त ----

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement