लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने सियाचिन में बहते पानी में कूदकर दिखाई वीरता, जान देकर बचाई जवान की जिंदगी

सिक्किम में एक ऑपरेशन के दौरान अग्निवीर स्टीफन सुब्बा को बहते झरने से बचाते हुए 23 वर्षीय लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने जान की बाजी लगा दी. साथी को बचा लिया गया, लेकिन खुद शशांक बह गए और उनका शव 800 मीटर नीचे बह जाने के बाद मृत अवस्था में निकाला गया. सेना ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है.

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लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी (फाइल फोटो). लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी (फाइल फोटो).

शिवानी शर्मा

  • सिक्किम,
  • 23 मई 2025,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST

22 मई 2025 का दिन भारतीय सेना के लिए गर्व और गम दोनों लेकर आया. मात्र छह महीने पहले ही 14 दिसंबर 2024 को कमीशन हुए 23 वर्षीय लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने सिक्किम के उत्तरी क्षेत्र में एक ऑपरेशनल मिशन के दौरान अपने साथी की जान बचाते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया.

लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी SIKKIM SCOUTS रेजिमेंट में पदस्थ थे. वे एक Route Opening Patrol का नेतृत्व कर रहे थे. यह गश्ती दल एक Tactical Operating Base (TOB) तक पहुंचने के लिए कठिन पहाड़ी मार्ग से गुजर रहा था, जिसे भविष्य के अभियानों के लिए तैयार किया जा रहा था. इस दौरान सुबह लगभग 11 बजे दल के एक सदस्य अग्निवीर स्टीफन सुब्बा एक लकड़ी के पुल को पार करते समय फिसलकर तेज बहाव वाले पहाड़ी झरने में बहने लगे.

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एक पल की भी देरी किए बिना लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने अद्भुत साहस, नेतृत्व और निःस्वार्थता का परिचय देते हुए झरने में छलांग लगा दी. उनके पीछे नायक पुकार काटेल भी कूद पड़े. दोनों ने मिलकर अग्निवीर को बचा लिया, लेकिन इस दौरान लेफ्टिनेंट तिवारी स्वयं जलधारा में बह गए. तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें झरने में 800 मीटर नीचे बह जाने के बाद मृत अवस्था में निकाला गया.

उनकी यह वीरता भारतीय सेना के मूल मूल्यों निःस्वार्थ सेवा, नेतृत्व, ईमानदारी और सैनिकों के बीच अटूट बंधन का जीवंत उदाहरण है. लेफ्टिनेंट तिवारी न केवल एक अधिकारी थे, बल्कि वे अपने कर्म और नेतृत्व से एक सच्चे योद्धा भी थे. उन्होंने यह साबित कर दिया कि सेना में ‘नेतृत्व’ सिर्फ आदेश देने से नहीं, बल्कि सबसे आगे खड़े होकर अपने सैनिकों के लिए जान लुटा देने से आता है.

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अपने पीछे माता-पिता और एक बहन को छोड़कर, लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी अमर शहीदों की पंक्ति में शामिल हो गए. भारतीय सेना उनके इस अद्वितीय बलिदान को सलाम करती है और उन्हें सदैव स्मरण में रखेगी. उनका साहस आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा.

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