कोलकाता: 15 साल बाद दुर्गा पूजा, मुस्लिम समाज उठा रहा है पंडाल का खर्च

अलीमुद्दीन स्ट्रीट के पास वाले इलाके से हिंदू परिवारों के चले जाने के बाद पिछले 15 सालों से यहां दुर्गा पूजा भी बंद हो गई थी. मध्य कोलकाता के इस मुस्लिम बहुल इलाके में लगभग 8 परिवार रहते थे. लेकिन 4 परिवारों के यहां से चले जाने के बाद दुर्गा पूजा भी बंद हो गई.

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मुस्लिम समुदाय की मदद से 15 साल बाद शुरू हुई दुर्गा पूजा (फोटो- आजतक) मुस्लिम समुदाय की मदद से 15 साल बाद शुरू हुई दुर्गा पूजा (फोटो- आजतक)

अनुपम मिश्रा

  • कोलकाता,
  • 11 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 9:01 PM IST
  • मुस्लिम समुदाय की मदद से 15 साल बाद शुरू हुई दुर्गा पूजा
  • पंडाल का पूरा खर्चा भी उठा रहे हैं मुस्लिम युवक

कोलकाता के अलीमुद्दीन स्ट्रीट पर मुस्लिम समुदाय ने कौमी एकता का शानदार उदाहरण पेश किया है. यहां पर इन लोगों ने 15 साल से बंद हुई दुर्गा पूजा को एक बार फिर से शुरू किया है. दरअसल अलीमुद्दीन स्ट्रीट के पास वाले इलाके से हिंदू परिवारों के चले जाने के बाद पिछले 15 सालों से यहां दुर्गा पूजा भी बंद हो गई थी. मध्य कोलकाता के इस मुस्लिम बहुल इलाके में लगभग 8 परिवार रहते थे. लेकिन 4 परिवारों के यहां से चले जाने के बाद दुर्गा पूजा भी बंद हो गई. हालांकि इस साल यहां रहने वाले बाकी के 3 हिंदू परिवारों ने दुर्गा पूजा को फिर से शुरू करने की इच्छा जाहिर की. जिसे इलाके के मुस्लिम युवकों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया.

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यहां रहनेवाले हिंदू परिवार बेहद गरीब हैं. इसलिए इलाके के मुस्लिम युवक तौसीफ रहमान ने दुर्गा पूजा का सारा खर्च अपने ऊपर उठाने की जिम्मेदारी ली. साथ ही इलाके के कुछ अन्य मुस्लिम युवकों पर भी पंडाल बनाने का दायित्व दिया. सिर्फ यही नहीं, पूजा पंडाल को व्यवस्थित करने में लगे मुस्लिम युवकों ने पूजा को ध्यान में रखते हुए इन दिनों मांसाहारी भोजन का भी त्याग कर दिया है. 

इन मुस्लिम युवाओं का कहना है कि हम यहां पूजा नहीं कर सकते, क्योंकि पूजा की जिम्मेदारी हिंदू परिवारों की है. लेकिन हमें कामकाज के लिए पंडाल में जाना पड़ता है. इसलिए हमलोगों ने मांसाहार त्यागने का प्रण लिया है. इलाके के लोगों का कहना है कि ये पूजा सालों पुरानी है. उन्होंने बताया, 'शुरुआत की तारीख तो याद नहीं पर 1960 के आसपास यहां रहनेवाले हिंदू परिवारों ने दुर्गा पूजा शुरू की थी.'

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यहां रह रहे शायंत सेन की खुशी का ठिकाना नहीं है. नौजवान शायन्त का कहना है कि बेहद छोटे में उसने यहां पूजा देखी थी. उसके बाद से पूजा बंद हो गई. मन उदास रहने लगा. लेकिन जब इस साल इलाके के मुस्लिम युवकों ने दुर्गा पूजा दोबारा शुरू करने में मदद का भरोसा दिया तो मन मिजाज खुश हो गया. समय बहुत कम था केवल 4 हफ्तों के समय में जी तोड़ मेहनत कर इस पूजा को दोबारा शुरू किया गया और नाम दिया गया शिशुपाल फाउंडेशन दुर्गा पूजा. 

 

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