कर्नाटक: धर्मस्थला में पुलिस ने मिटाए 15 साल के अज्ञात मौतों के रिकॉर्ड, RTI से खुलासा

व्हिसलब्लोअर ने दावा किया है कि साल 1998 से 2014 के बीच उसे महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के शवों को दफनाने और उनका अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया गया था. उसका आरोप है कि इनमें से कई शवों पर यौन उत्पीड़न के निशान थे.

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धर्मस्थला की साइट नंबर 6 से इंसानी हड्डियां निकलीं हैं (Photo: X/shivamurthygg) धर्मस्थला की साइट नंबर 6 से इंसानी हड्डियां निकलीं हैं (Photo: X/shivamurthygg)

सगाय राज

  • बेंगलुरु,
  • 02 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 3:00 AM IST

कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले के बेलथांगडी पुलिस की तीखी आलोचना हो रही है. दरअसल, पुलिस ने स्वीकार किया है कि उसने 2000 से 2015 के बीच दर्ज अज्ञात मौतों के मामलों से जुड़े अहम रिकॉर्ड नष्ट कर दिए हैं. ये वही समयावधि है जब एक व्हिसलब्लोअर ने मंदिरों के शहर धर्मस्थला में बड़ी संख्या में महिलाओं और नाबालिगों के शव दफनाने के आरोप लगाए हैं. बता दें कि धर्मस्थला की साइट नंबर 6 पर खुदाई करने पर वहां से इंसानी कंकाल के अवशेष मिले हैं.

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व्हिसलब्लोअर ने दावा किया है कि साल 1998 से 2014 के बीच उसे महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के शवों को दफनाने और उनका अंतिम संस्कार करने के लिए मजबूर किया गया था. उसका आरोप है कि इनमें से कई शवों पर यौन उत्पीड़न के निशान थे.

जब एक RTI (सूचना के अधिकार) के तहत सवाल पूछा गया, तो पुलिस ने जवाब दिया कि शवों की पहचान के लिए जो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट, दीवारों पर लगे पोस्टर, नोटिस और तस्वीरें इस्तेमाल की गई थीं, उन्हें सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत नष्ट कर दिया गया है.

ये मामला तब और भी गंभीर हो गया जब एक RTI आवेदन में दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 174(ए) के तहत पिछले 15 वर्षों के दौरान दर्ज अज्ञात अप्राकृतिक मौत के मामलों की जानकारी मांगी गई. इसके जवाब में बेलथांगडी पुलिस स्टेशन के जनसूचना अधिकारी ने बताया कि मांगे गए रिकॉर्ड अब मौजूद नहीं हैं, क्योंकि उन्हें विभिन्न सरकारी नियमों और प्रक्रियाओं के तहत नष्ट कर दिया गया है.

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हालांकि इस जवाब ने कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक समाज संगठनों को हैरान कर दिया है. उनका कहना है कि पुलिस को ऐसे रिकॉर्ड खासकर अप्राकृतिक मौतों से जुड़े दस्तावेज़ नष्ट करने का कानूनी या नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि इनमें जनहित से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी होती है.

चिंता की बात ये भी है कि दक्षिण कन्नड़ जिला कर्नाटक के सबसे अधिक डिजिटलीकरण वाले क्षेत्रों में से एक है. आलोचकों का सवाल है कि इतने संवेदनशील रिकॉर्ड को नष्ट करने से पहले उनका डिजिटलीकरण क्यों नहीं किया गया, खासकर जब इनमें अज्ञात मृतकों की जानकारी हो, जिनके परिवार अब भी उनकी खोज में हो सकते हैं.

कर्नाटक पुलिस मैनुअल में यह स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि जब कोई अज्ञात शव मिलता है तो उसकी पहचान के लिए सार्वजनिक सूचना, प्रचार और आवश्यक प्रयास करना जरूरी होता है. ऐसे में रिकॉर्ड मिटाना प्रोटोकॉल और जवाबदेही में गंभीर गलती माना जा रहा है. इस आरटीआई को कडबा तालुक के कालमेठडका स्थित नीति टीम ने दाखिल किया था. 

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