AI आपको कंट्रोल करे, इससे पहले आप उसमें महारत हासिल कर लें: कली पुरी

इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जिक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ कली पुरी ने FICCI Frames 2025 कार्यक्रम में हिस्सा लिया. यहां उन्होंने कहा कि AI से डरने की बजाय इसे अपनाना और उसमें महारत हासिल करना जरूरी है. उन्होंने बताया कि AI वॉयसओवर तैयार करने और ट्रांसक्रिप्शन जैसे उबाऊ काम से छुटकारा दिलाता है.

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कली पुरी ने मुंबई में फिक्की फ्रेम्स 2025 को संबोधित किया (Photo: ITG) कली पुरी ने मुंबई में फिक्की फ्रेम्स 2025 को संबोधित किया (Photo: ITG)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 5:59 PM IST

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के जरिए दुनियाभर के न्यूजरूम तेजी से बदल रहे हैं. इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन और एग्जिक्यूटिव एडिटर-इन-चीफ कली पुरी ने इस बात पर जोर दिया कि नई तकनीक से डरने के बजाय उसे पूरी तरह से अपनाकर उसमें महारत हासिल कर लेना सही तरीका है.

मुंबई में आयोजित फिक्की फ्रेम्स 2025 कार्यक्रम में कली पुरी ने कहा कि AI का सबसे बड़ा लाभ है कि यह नीरसता को दूर करता है और ट्रांसक्रिप्शन जैसे काम को खत्म करने में मदद करता है.

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कली पुरी ने क्रैडिबिलिटी इन द एज ऑफ केओस एंड मीडियाज रोल इन शेपिंग इंडियाज आइडेंटिटी नाम के सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि AI एक नई तकनीक है और इससे डरने से काम नहीं चलेगा. आपको इसे तत्परता से अपनाना पड़ेगा और इसकी बारीकियों को समझकर इसमें महारत हासिल करनी पड़ेगी. इससे पहले कि यह आपको कंट्रोल करना शुरू कर दे. 

AI से न्यूजरूम को कैसे हो रहा फायदा?

न्यूजरूम में AI का इस्तेमाल किस तरह हो सकता है. इस पर अपने विचार साझा करते हुए कली पुरी ने कहा कि अब ऐसी तकनीक मौजूद है, जिससे अब अनियमित प्रसारणों के लिए एंकर्स के AI वर्जन तैयार किए जा सकते हैं और बिना किसी शूट के भी व्यापक फुटेज और विज़ुअल तैयार किए जा सकते हैं.

उन्होंने कहा कि किसी को भी ट्रांसक्रिप्शन पसंद नहीं है. आपको पता ही होगा कि ट्रांसक्रिप्शन कितना बोरिंग काम होता है. अब, AI की मदद से अलग-अलग भाषाओं में इसे किया जा सकता है. आप बिना शूट किए ही बड़े स्तर पर फुटेज और विज़ुअल बना सकते हैं. यह आपको ऐसे AI एंकर तैयार करने की सुविधा देता है जो उस समय काम कर सकें जब असल में मौजूद नहीं होते, जैसे सुबह के तीन बजे. 

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उन्होंने कहा कि AI क्लोनिंग की मदद से अब आपकी आवाज में और भी बेहतर वॉयसओवर हो सकता है और वो भी जब आप मौजूद ना हों. इसका उद्देश्य काम की दक्षता बढ़ाना, नीरसता कम करना और इससे क्रिएट होने वाले कमाई के नए रास्ते तलाशना है.

कॉपीराइट ग्रे जोन

हालांकि, AI के व्यापक इस्तेमाल के कुछ अस्पष्ट पहलू भी हैं, क्योंकि AI सिस्टम अक्सर कॉपीराइट कंटेंट का इस्तेमाल करके खुद को प्रशिक्षित करते हैं. इस दुविधा को स्वीकार करते हुए कली पुरी ने कहा कि या तो कोई बैठकर इसके बारे में सिर्फ शिकायत कर सकता है या फिर इसका इस्तेमाल कर अपना काम कर सकता है और उससे लाभ उठा सकता है. न्यूज पब्लिशर होने के नाते बिना हमारी मंजूरी के हमारे कंटेंट को इस्तेमाल किया जा रहा है.

हालांकि, उन्होंने कहा कि इंडिया टुडे ग्रुप नई AI तकनीकों को अपनाने के बावजूद अपने ऑरिजिनल काम पर निर्भर रहता है. हम कॉपीराइट के प्रति सजग हैं क्योंकि इस समय हम खुद चीजें क्रिएट कर रहे हैं. हम दूसरों का कंटेंट इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.

हाल ही में लोगों द्वारा अपनी इमेज और आवाज पर बौद्धिक संपदा (IP) का दावा किए जाने वाले ट्रेंड का जिक्र करते हुए पुरी ने कहा कि हम किस तरह के ग्रह पर रह रहे हैं, जहां हमें खुद को एक IP के रूप में रजिस्टर कराना पड़ता है और यह कहना पड़ता है ‘मैं इंसान हूं,’ ताकि AI हमारी नकल न कर सके.

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पश्चिम हमसे बेहतर है, अब पुरानी बात

ऐसे समय में जब 24 घंटे खबरें मुहैया कराने वाले न्यूज चैनल मौजूद हैं, ऐसे में देश-विशिष्ट ब्रांड की प्रासंगिकता पर बातचीत करते हुए कली पुरी ने इस धारणा को खारिज किया कि पश्चिमी देशों की मीडिया अधिक विश्वसनीय हैं.

उन्होंने कहा कि पहले यह धारणा थी कि अगर कुछ विदेशी या पश्चिमी है, तो वह अधिक विश्वसनीय होगा. लेकिन अब यह धारणा खत्म हो गई है और यह मानना कि पश्चिम हमसे बेहतर है, अब पुरानी बात हो गई. इसका एक हिस्सा प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2014 से किए गए कार्यों की वजह से है, जिन्होंने भारत और भारतीयों में गर्व की भावना को फिर से जागृत किया है.

कली पुरी ने बताया कि यूट्यूब पर आज तक दुनिया का नंबर एक न्यूज चैनल है. आज तक के सब्सक्राइबर लगभग आठ करोड़ हैं लेकिन इसके बावजूद उसे एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के समान दर्जा नहीं मिलता. उन्होंने कहा कि थोड़ा बहुत साम्राज्यवाद भी है, जहां अमेरिका और यूरोप के बाहर की चीजों को समान दर्जा नहीं दिया जाता.

कली पुरी ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा कि भविष्य में AI और मानव रचनात्मकता का अस्तित्व एक दूसरे से जुड़ा हुआ रहेगा, जिसे AI सैंडविच कहा जा सकता है. उन्होंने इस टर्म को समझाते हुए कहा कि आपके पास दोनों तरफ ह्यूमन ब्रैड हैं और बीच में जैम की जगह AI है.

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