जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती टेरर फंडिंग मामले में उम्रक़ैद की सज़ा काट रहे यासीन मलिक के लिए गृह मंत्रालय से रहम गुहार लगाई है. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखते हुए यासीन मलिक के मामले को मानवीय नजरिए से देखने की गुजारिश की है.
महबूबा मुफ्ती ने इस संबंध में सोशल मीडिया पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने कहा, "मैंने अमित शाह को पत्र लिखकर यासीन मलिक के मामले को मानवीय नजरिए से देखने की गुजारिश की है."
महबूबा मुफ्ती ने ये भी कि मैं उनकी (यासीन मलिक) राजनीतिक विचारधारा से असहमत हूं, लेकिन हिंसा का त्याग करके राजनीतिक जुड़ाव और बिना हिंसा किए असहमति का रास्ता चुनने के उनके साहस को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता.
इससे पहले यासीन मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल लफनामे में दावा करते हुए कहा कि साल 2006 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के संस्थापक और 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद से मुलाकात के बाद व्यक्तिगत रूप से मुझे शुक्रिया कहा था और आभार जताया था.
हाफ़िज़ सईद से मुलाक़ात क़िस्सा...
यासीन मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट में दायर अपने हलफ़नामे में है कि कैसे हाफिज सईद ने जिहादी समूहों का एक सम्मेलन आयोजित किया, जहां सईद ने एक भाषण दिया और आतंकवादियों से शांति की गुजारिश की. इस्लामी शिक्षाओं का हवाला देते हुए, उसने कहा कि हिंसा के बजाय सुलह पर ज़ोर दिया जाए और इस बात पर ज़ोर दिया, "अगर कोई आपको शांति की पेशकश करता है, तो उससे शांति खरीद लीजिए."
हालांकि, यह मुलाक़ात कई साल बाद विवाद का विषय बन गई क्योंकि इसे मलिक की पाकिस्तानी आतंकवादी समूहों से नज़दीकी के सबूत के तौर पर पेश किया गया. मलिक ने अपने हलफ़नामे में इस घटनाक्रम को "एक विश्वासघात" बताया और ज़ोर देकर कहा कि यह एक आधिकारिक तौर पर स्वीकृत पहल थी, जिसे बाद में राजनीतिक मकसदों के लिए तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया.
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