क्या चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना अपराध है? सुप्रीम कोर्ट कल सुनाएगा फैसला

NGO जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन एलायंस की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने 11 मार्च को सुनवाई के दौरान इस फैसले को एट्रोशियस बताते हुए टिप्पणी की थी कि यह एक भद्दा और नृशंस फैसला है. CJI ने कहा था कि कोई न्यायाधीश भला ऐसा कैसे कह सकते हैं?

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संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 22 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:37 PM IST

सुप्रीम कोर्ट सोमवार को इस मुद्दे पर अपना फैसला सुनाएगा कि क्या सिर्फ़ चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना अपराध है? सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में मद्रास हाईकोर्ट के उस फैसले की समीक्षा भी करेगा, जिसमें कहा गया था कि चाइल्ड पोर्न को डाउनलोड करना या देखना POCSO और IT कानून के तहत अपराध नहीं है. 

दरअसल,  NGO जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन एलायंस की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने 11 मार्च को सुनवाई के दौरान इस फैसले को एट्रोशियस बताते हुए टिप्पणी की थी कि यह एक भद्दा और नृशंस फैसला है. CJI ने कहा था कि कोई न्यायाधीश भला ऐसा कैसे कह सकते हैं?

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मद्रास हाईकोर्ट ने यह फैसला 11 जनवरी को 28 वर्षीय एक व्यक्ति को बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्री को डाउनलोड करने और देखने के आरोप से यह कहते हुए बरी कर दिया था कि केवल चाइल्ड पोर्नोग्राफी देखना POCSO और IT ऐक्ट तहत अपराध नहीं है.

ये सर्वसम्मत निर्णय चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्र की पीठ का है. ये सर्वसम्मत निर्णय जस्टिस पारदीवाला ने ही लिखा है. लिहाजा परंपरा के अनुसार अदालत में वही इसे पढ़कर सुनाएंगे.

क्या कहा था मद्रास हाईकोर्ट ने?

मद्रास हाईकोर्ट ने इस साल जनवरी में पारित अपने फैसले में कहा था कि बाल पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना POCSO या सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत अपराध नहीं है क्योंकि ऐसा कार्य बिना किसी को प्रभावित या गोपनीयता में किया जाता है.  

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NGO ने दी थी ये दलील

एनजीओ जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन एलायंस ने वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. इसमें कहा गया था कि इससे बाल अश्लीलता को बढ़ावा मिलेगा और बच्चों की भलाई के खिलाफ काम होगा. याचिका में कहा गया था कि आम जनता को यह धारणा दी गई है कि बाल पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना और रखना कोई अपराध नहीं है और इससे बाल पोर्नोग्राफी की मांग बढ़ेगी और लोग मासूम बच्चों को पोर्नोग्राफी में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

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