Indian Railways: ट्रेन के इंजन वाले डिब्बे में क्या लगाई जाएं यूरिनल्स? 60 हजार लोको पायलट्स से मांगा फीडबैक

Indian Railways: रेलवे ने लोको पायलट्स से ट्रेन के इंजन में लगाए जाने वाले यूरिनल को लेकर फीडबैक मांगा है. इसके लिए लोकोमोटिव इंजीनियर्स को लोको पायलट्स से बात करने का निर्देश भी दे दिया गया है. फीडबैक के आने के बाद ही रेलवे बोर्ड इस पर कोई निर्णय लेगा.

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Indian railways seeks feedback from loco pilots on urinal in locomotive Indian railways seeks feedback from loco pilots on urinal in locomotive

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 26 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 6:04 PM IST

Indian Railway News: रेलवे ने अपने रनिंग स्टाफ से लोकोमोटिव (ट्रेन इंजन) में लगाए जाने वाले यूरिनल के बारे में फीडबैक मांगा है. दरअसल, स्टाफ द्वारा ट्रेनों को चलाते समय होने वाली दिक्कतों के बारे में शिकायत की गई थी. जिसके बाद रेलवे बोर्ड ने सभी 17 जोनल के मुख्य विद्युत लोकोमोटिव इंजीनियर्स (सीईएलई) को रनिंग स्टाफ (सहायक लोको पायलट और लोको पायलट) से फीडबैक लेने का आदेश जारी किया है.

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फीडबैक के बाद यूरिनल पर बोर्ड लेगा निर्णय

रेलवे के एक अधिकारी के मुताबिक, सीईएलई लोको पायलट्स से मोबाइल फोन पर फीडबैक ले रहे हैं. फीडबैक में ये जानने की कोशिश की जा रही है कि क्या लोको पयलट्स रेलवे द्वारा Urinals को लेकर लाई जा रही नई प्रणाली से संतुष्ट हैं? फीडबैक के आने के बाद ही रेलवे बोर्ड Urinals को लगाने का निर्णय लेगा.

क्या कहते हैं लोको पायलट्स

हालांकि, भारतीय रेलवे लोको रनिंग मेन ऑर्गनाइजेशन, लोको पायलटों का संघ, रेलवे बोर्ड के इस फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. उनका तर्क है कि ट्रेन के इंजन में शौचालय की आवश्यकता है न कि यूरिनल की.

कितनी है लोको पायलट्स की संख्या

रेलवे अधिकारियों के मुताबिक,6 साल पहले तब के रेल मंत्री सुरेश प्रभु के बायो-टॉयलेट से लैस पहले लोकोमोटिव को हरी झंडी दिखाने के बाद अब तक 97 लोकोमोटिव में इस प्रणाली को लाया जा चुका है. भारतीय रेलवे के पास 14,000 से अधिक डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन हैं.  60,000 से अधिक लोको पायलटों में से लगभग 1,000 महिलाएं हैं, जिनमें से अधिकांश कम दूरी की मालगाड़ियों को चलाती हैं.

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रेलवे ने बयान में क्या कहा

एक महिला लोको पायलट ने कहा कि यदि लोको में शौचालय बनाए जाते हैं तो अधिक महिलाएं ट्रेनें चला सकेंगी और उन्हें डेस्क जॉब करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. रेलवे ने एक बयान में बताया है कि 2013 में रेल बजट की घोषणा और लगातार मांग के बाद, चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (सीएलडब्ल्यू) द्वारा बनाए जा रहे इलेक्ट्रिक इंजनों में वॉटर क्लोसेट (शौचालय) उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया. इसमें कहा गया है कि अब तक 97 इलेक्ट्रिक लोको में वॉटर क्लोसेट लगाये जा चुके हैं.

इन दिक्कतों का करना पड़ता है सामना

रेलवे महिला लोको पायलट्स को उनकी सहमति से केवल 200 किमी-300 किमी के छोटी यात्रा आवंटित करता है, लेकिन शिफ्ट अक्सर 12 घंटे तक बढ़ सकती है. कुछ कर्मचारियों ने कहा कि पुरुषों को भी शौच के लिए पटरियों के किनारे बैठना पड़ता है, ये बेहद खतरनाक स्थिति है. कई महिलाएं इसी वजह से लोको पायलट की जॉब ना चुनकर ऑफिस में बैठना पसंद करती हैं.

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