'टंकी तो लग जाएगी, पानी कहां से आएगा? जलवायु शरणार्थी कहलाएंगे भारतीय', वाटरमैन राजेंद्र सिंह ने जताई चिंता

India Today Conclave 2021: जल जीवन मिशन के तहत हर घर जल पहुंचाने की सरकार कोशिश कर रही है. इसपर भारत के 'वाटरमैन' राजेंद्र सिंह ने कहा कि टंकी का कनेक्शन लगाना और पानी पहुंचाना दोनों अलग बात हैं.

Advertisement
India Today Conclave 2021: भारत के 'वाटरमैन' राजेंद्र सिंह India Today Conclave 2021: भारत के 'वाटरमैन' राजेंद्र सिंह

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 10:19 PM IST
  • इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 में जल जीवन मिशन पर हुई बात
  • वाटरमैन राजेंद्र सिंह ने पानी की कमी पर चिंता जताई

देश में पानी की कमी से लोग जूझ रहे हैं, समस्याओं को खत्म करने के लिए सरकार भी कई कदम उठा रही है. इसपर बात करने के लिए इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2021 (India Today Conclave 2021) में जल जीवन मिशन के मिशन डायरेक्टर भरत लाल और वाटरमैन के रूप से पहचाने जाने वाले राजेंद्र सिंह शामिल हुए.

Water Works: Turn the tap. India most crucial story टॉपिक पर बात करते हुए राजेंद्र सिंह ने सरकार के कदमों की तारीफ तो की, लेकिन उन्होंने साफ कहा कि समाज की भागीदारी के बिना पानी की कमी तो दूर करना संभव नहीं. कार्यक्रम में भरत लाल ने सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में बताया.

Advertisement

भरत लाल ने कहा कि घर में शुद्ध पानी होना जितना जरूरी है, उनका ही मुश्किल भी. उन्होंने कहा कि 2019 में 19.2 करोड़ ग्रामीण घरों में से सिर्फ 3.23 करोड़ घरों में नल से जल की सुविधा थी. अब मोदी सरकार की कोशिश है कि 2024 तक हर घर से जल उपलब्ध हो.

India Today Conclave 2021 में आजतक की तरफ से गौरव सावंत ने सवाल किया कि 2018 की नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया था कि आधे गांवों में पानी की बहुत कमी है क्या इस स्थिति को सुधारना आसान है? इसपर राजेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले कुछ सालों से पानी के नाम पर बहुत सी टंकी, पाइपलाइन की व्यवस्था की गई है. सरकार हर घर में पाइपलाइन तो पहुंचा देगी, लेकिन पानी कहां से आएगा? 

Advertisement

राजेंद्र सिंह ने आगे कहा कि हमारे पास पानी कितना है, यह देखना होगा. 2 लाख 56 हजार गांव अभी भी बेपानी हैं. शहरों का भी ऐसा ही हाल है क्योंकि वहां वाटर लेवल नीचे जाता जा रहा है.

वाटरमैन बोले कि हर घर में नल पहुंच जाएगा. लेकिन पानी पहुंचना मुश्किल क्योंकि इसमें समाज के सहयोग की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अफ्रीका, सेंट्रल एशिया के देश बेपानी हो रहे हैं. वहां के लोग जब यूरोप के देशों में जाते हैं तो उनको जलवायु शरणार्थी (climate refugees) कहते हैं. भारत के लोगों को अभी यह नहीं जाता लेकिन अगले सात सालों में ऐसे हालात आ सकते हैं.

सारा पानी जब धरती के पेट से निकलेगा तो भविष्य क्या होगा?

राजेंद्र सिंह ने कहा कि भूमिगत पानी के जो सोर्स हैं वह कम हो रहे हैं, सरकार मान भी रही है कि भूमिगत जलभृत (underground water aquifers) में बस 28 फीसदी पानी बचा है. खेती में 85 फीसदी पानी जमीन से ले रहे है. पानी (5 फीसदी), उद्योगों सबके लिए पानी जमीन से निकाल रहे हैं.  ऐसे में जब सारा पानी धरती के पेट से निकालेंगे, पानी के रिजर्व खाली होंगे तो हमारा भविष्य क्या होगा. वह बोले कि हमें डिस्चार्ज और रीचार्ज का संतुलन करना होगा. इसमें समाज की सहभागिता जरूरी होगी.

Advertisement

इसपर जल जीवन मिशन के मिशन डायरेक्टर भरत लाल ने कहा कि राजेंद्र सिंह ने 20 साल पहले अलवर में एक नदी को पुर्नजीवित करके दिखाया था. यह सब समाज की सहभागिता से आगे भी होगा. भरत लाल ने कहा कि पीएम मोदी भी कहते हैं कि सरकार के साथ लोगों को सहयोग करना होगा.

उन्होंने बताया कि जल जीवन मिशन में भी लोगों की सहभागिता ली जाती है. इसमें हर गांव में पानी समितियां बनाई जा रही हैं, इसमें महिलाओं को ट्रेन किया जा रहा है. भरत लाल ने आगे कहा कि उनका इस बात पर पूरा जोर है कि टंकी लगने के साथ-साथ पानी की क्वॉलिटी, टाइमिंग पर भी पूरा ध्यान दिया जाए.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement